Heat Wave Alert: सूरज का सितम लगातार बढ़ता जा रहा है. एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. हीट वेव के खतरे में पहले के मुकाबले चार गुना की बढ़ोतरी हुई है. यही नहीं पहले जहां लू की चपेट में देश के 17 राज्य आते थे वहीं अब 23 राज्य इसकी चपेट में आ चुके हैं. यही नहीं पहाड़ी राज्यों पर भी बढ़ते तापमान का असर देखने को मिल रहा है. यहां के कई जिलों में 40-42 के पार पारा पहुंच चुका है. मौसम विभाग के साथ-साथ एनडीएमए और एनसीडीसी की संयुक्त रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
पांचवा सबसे गर्म साल
रिपोर्ट के मुताबिक देश में यह पांचवा साल है जो सबसे ज्यादा गर्म वर्षों में गिना जा रहा है. इससे पहले 2022 में शुरुआती लू की आशंका 30 गुना बढ़ी थी. जबकि वर्ष 2023 यानी बीते वर्ष को अब तक का सबसे गर्म वर्ष कहा जा रहा है. 2015 से लेकर 2024 तक की बात की जाए तो देश में लू की चपेट में आने वाले राज्यों की संख्या भी 17 से बढ़कर 23 हो चुकी है. वहीं 16 वर्ष पहले की बात करें तो देश के सिर्फ 9 राज्य ही लू की चपेट में रहते थे. यानी डेढ़ दशक में इनकी संख्या भी ढाई गुना बढ़ गई है.
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अकेले राजस्थान में 8 की मौत
अकेले राजस्थान की बात करें तो यहां पर अब तक लू की चपेट में आने से 8 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. यहां के फलौदी जिले में पारा 49 डिग्री के पार पहुंच गया है और इसके 50 डिग्री सेल्सियस को पार करने की उम्मीद है. इसके अलावा दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में भी सूरज की तपिश ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं.
इन राज्यों में भी गर्मी ने तोड़े रिकॉर्ड
देश के मैदान से लेकर पहाड़ी इलाकों में भी गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़े हैं. इनमें पूर्वोत्तर का अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में भी तापमान ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. यहां पर सूरज की तपिश ने लोगों को घरों से बाहर न निकलने पर मजबूर कर दिया है.
क्यों पड़ रही इतनी ज्यादा गर्मी
रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि आखिर इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है. इसके पीछे जो बड़ी वजह सामने आई है वह है जलवायु परिवर्तन. 2014 से पहले तमिलनाडु और केरल जैसे तटीय इलाकों में या फिर हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी इलाकों में लू का असर नहीं देखा जाता था, लेकिन बीते कुछ वर्षों में यहां पर भी सूरज का सितम परेशानियां बढ़ा रहा है.
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चार गुना से ज्यादा बढ़ा लू का प्रभाव
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के मुताबिक, 2023 में 329 दिन लू का असर रहा जो 2022 में 203 दिन था. इसी तरह वर्ष 2014 से 2023 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर औसतन लू प्रभावित दिनों की संख्या 7.4 से बढ़कर 32.2 दिन तक पहुंच गई है.
Source : News Nation Bureau