सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट विवादित जमीन हिंदू पक्षकारों को दे दी है. मगर देश की दो हिंदू पीठों के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर थोड़ी खुशी और ज्यादा नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि हिंदुओं के हित में फैसला देना तो सही है, लेकिन जब प्रामाणित हो गया कि विवादित जगह हिंदुओं की है तो मुस्लिमों को जमीन देने गलत है. साथ ही नया ट्रस्ट बनाने का आदेश भी उचित नहीं है.
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न्यूज स्टेट से खास बातचीत में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि बाबर के अयोध्या आने और मस्जिद बनाने के कोई प्रमाण नहीं हैं. बिना प्रमाण के मान लिया गया कि बाबर ने मस्जिद बनवाई. अब राम जन्मभूमि न्यास को दे दी है, जिससे उन्हें खुशी है. साथ ही स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मुस्लिम पक्ष को जमीन देने के कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को जमीन नहीं देनी चाहिए थी. शंकराचार्य ने आगे कहा कि जो बातें हमने उठाईं उसका भी उत्तर देना था. उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से में नाखुश हूं.
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गौरतलब है कि न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुए केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ भूमि आबंटित की जाए. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया. इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि मस्जिद का निर्माण ‘प्रमुख स्थल’ पर किया जाना चाहिए और सरकार को उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करना चाहिए.
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