शरद पवार का कद किसी बड़े राजनेता से कम नहीं है. महाराष्ट्र के साथ देश की सियास में उनकी हैसियत काफी ज्यादा है. आज यानि मंगलवार को उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनका इस्तीफा सवाल खड़े करता है कि आखिर उनका पद किसे सौंपा जाएगा. गौरतलब है कि पार्टी में दो नामों पर चर्चा है. एक तरफ राकांपा अध्यक्ष पद के लिए अजित पवार को खास प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है. वहीं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को पवार के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में अध्यक्ष पद की जंग खास हो सकती है. इन सबके बीच शरद पवार के सियासी सफर को देखें तो आज भी अहम भूमिका हैं. वे पार्टी लाइन से हटकर रिश्ते बनाने वाले नेताओं में से एक है.
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छात्र राजनीति से शुरुआत
पवार का जन्म 1940 में महाराष्ट्र के बारामति में हुआ था. उन्होंने छात्र राजनीति अपने राजनीति सफर की शुरूआत की. वर्ष था 1956 इस समय शरद पवार ने महाराष्ट्र के प्रवरनगर में गोवा की आजादी को लेकर एक विरोध मार्च का आह्वान किया था. 1958 में पवार यूथ कांग्रेस में शामिल हो गए. इसके साथ पार्टी के लिए अपने समर्थन को प्रदर्शित किया. युवा कांग्रेस में उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें चार बाद 1962 में पुणे जिला युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया. इसके बाद वर्षों में पवार ने महाराष्ट्र युवा कांग्रेस के प्रमुख पदों पर बने रहे. यहां पर कांग्रेस गहराई से अपनी जड़े जमानी शुरू कर दी.
महाराष्ट्र के सबसे युवा सीएम बने
27 साल की उम्र में वर्ष 1967 में उन्हें महाराष्ट्र के बारामती निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार के रूप में नामित हुए. यहां पर पवार चुनाव जीते और तत्कालीन अविभाजित कांग्रेस पार्टी से विधानसभा में पहुंच गए. पवार बारामती निर्वाचन क्षेत्र से लगातार जीतते रहे हैं. एक विधायक के रूप में पवार ने ग्रामीण राजनीति भी की. उन्हें महाराष्ट्र में सूखे की चिंता थी. इससे जुड़े उन्होंने कई मुद्दों को उजागर किया. सहकारी चीनी मिलों और अन्य सहकारी समितियों की राजनीतिक गतिविधियों में वे सक्रिय रहे. शंकरराव चव्हाण की 1975-77 की सरकार के वक्त शरद पवार ने गृह मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया.
कांग्रेस पार्टी कांग्रेस (आई) और कांग्रेस (यू) में बंट गई. उस समय पवार कांग्रेस (यू) में शामिल हो गए. 1978 में महाराष्ट्र के चुनाव हुए. इसमें दोनों गुटों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. जनता पार्टी के खिलाफ उन्होंने गठबंधन सरकार बनाई. वसंतदाता पाटिल की सरकार में पवार उद्योग और श्रम मंत्री बने.
38 वर्ष की उम्र में पवार ने जनता पार्टी के साथ सरकार बनाई. इसके लिए कांग्रेस (यू) को छोड़ दिया. इस बीच 1978 में शरद पवार महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के सीएम बने. 1980 में इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हो गई. प्रगतिशील लोकतांत्रिक फ्रंट (पीडीएफ) सरकार को सत्ता से बेदखल कर डाला.
मनमोहन सरकार में वे कृषि मंत्री बने
वर्ष 1988 में पवार दूसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बने. उस समय तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम शंकरराव चव्हाण को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया. उस समय तक पवार कांग्रेस (आई) में लौट आए थे. 1990 में भाजपा और शिवसेना को टक्कर देते हुए वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बने.
1993 में वे चौथी बार सीएम बने. 1996 के लोकसभा चुनाव में बारामती संसदीय क्षेत्र से उनका जीत का सिलसिला जारी रहा. 1999 में पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ शरद पवार को कांग्रेस से निष्कासित किया गया था. उसी साल जून में, पवार ने संगमा के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना कर डाली. इस दौरान शिवसेना-बीजेपी के गठबंधन को हराने के लिए एनसीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन भी किया.
एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाई
2004 की मनमोहन सरकार में वे कृषि मंत्री बने. यूपीए की 2009 के आम चुनाव में जीत के बाद पवार इस पद पर बने रहे. 2014 में भाजपा की आंधी में यूपीए ने अपना शासन खो दिया. इस दौरान पवार ने अपना मंत्रीपद भी खो दिया. बाद पवार की पार्टी एनसीपी 2014 के राज्य चुनाव में हार गई. इसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. 2019 के चुनाव में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाई. उद्धव ठाकरे को सीएम पद सौंपा गया. 2020 में पवार राज्यसभा के सांसद के रूप में दोबारा चुने गए.
HIGHLIGHTS
- 1978 में शरद पवार महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के सीएम बने
- 38 वर्ष की उम्र में पवार ने जनता पार्टी के साथ सरकार बनाई
- वर्ष 1988 में पवार दूसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बने