कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिश थरूर ने सोमवार को कुछ ऐसा कह दिया कि सियासी हलकों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. दरअसल सोमवार को शशि थरूर ने बातों ही बातों में ये कह दिया कि वह जिंदगी भर के लिए कांग्रेस में नहीं आए हैं. हालांकि इसके बाद तुंरत उनको अपनी गलती का अहसास हुआ और अपनी भूल को सुधारा.
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी पट्टी में पार्टी के संकट बीजेपी के 'बहुसंख्यक तुष्टीकरण' या 'कोक लाइट' की तर्ज पर किसी तरह के 'लाइट हिंदुत्व' की पेशकश करने से दूर नहीं हो सकते हैं क्योंकि इस रास्ते पर चल कर 'कांग्रेस जीरो' हो जाएगी. थरूर ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी शासन और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदू होने का दावा करना 'ब्रिटिश फुटबॉल के बदमाश समर्थकों' की अपनी टीम के प्रति वफादारी से अलग नहीं है.
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कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम से इतर उन्होंने कहा, मेरे विचार से पिछले साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 37% वोट मिले. ऐसे में 60% वोटर ऐसे हैं जो उसके साथ सहमत नहीं हैं. इन 37% लोगों में कुछ लोग ऐसे हैं जो भारत को बहुसंख्यकवादी देश बनते नहीं देखना चाहते.' उन्होंने कहा कि कांग्रेस समावेशी भारत और सभी के लिए काम करने में विश्वास रखती है जो उसे बीजेपी से अलग बनाती है.
'अपने सिद्धांतो पर चले कांग्रेस'
थरूर ने कहा कि BJP की सफलता से भयभीत होने के बजाय कांग्रेस के लिए बेहतर होगा कि वह उन सिद्धांतों के लिए खड़ी हो, जिन पर उसने हमेशा ही विश्वास किया है. और देश से अपने सिद्धांतों का अनुसरण करने के लिए अनुरोध करे. थरूर (63) ने कहा, 'निष्ठावान लोग एक ऐसी पार्टी का सम्मान करेंगे जो हमारे विश्वासों के साहस को प्रदर्शित करे, न कि 'कोक लाइट' और 'पेप्सी जीरो' की तर्ज पर किसी तरह के 'लाइट हिंदुत्व' की पेशकश करे क्योंकि 'लाइट हिंदुत्व' का अंत सिर्फ 'जीरो कांग्रेस' के रूप में होगा.'
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थरूर ने कहा, 'हिंदुत्व की खूबसूरती यह है कि हमारे यहां कानून बनाने के लिए कोई पोप नहीं है, कोई इमाम फतवा जारी कर यह नहीं बताता है कि सच्चा मत क्या है, कोई अकेला पवित्र ग्रंथ नहीं है. हिंदू मत में ऐसी कोई बात नहीं है.' उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा शब्द है जिसे अक्सर ही सही अर्थों में नहीं समझा जाता है.
थरूर ने आरोप लगाया कि मौजूदा शासन के दौरान धर्म के आधार पर लोगों को बांटने के लिए कपटपूर्ण कोशिशें की गई हैं. हालांकि, उन्होंने कहा, 'कांग्रेस यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर धर्म को भारत में फूलने-फलने के लिए अवसर मिले. पार्टी की यह परंपरा नहीं बदलेगी, भले ही हमारे कुछ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ऐसे विकृत बयान को बढ़ावा देते हों.' उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी शासन और उसके सहयोगी दलों ने वेदों, उपनिषदों, पुराणों और गीता के गौरव को छीन लिया और उन्हें अप्रासंगिक बना दिया.