बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चीन दौर पर हैं. वे चार दिन की यात्रा के लिए सोमवार को बीजिंग पहुंची हैं. उम्मीद है कि दौरे के दौरान चीन बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी में बदला जा सकता है. दोनों देशों की नजदीकियों से भारत चिंतित है. क्योंकि अगर बांग्लादेश में चीन शक्तिशाली होता है तो भारत वहां कमजोर पड़ सकता है. गौरतलब है कि शेख हसीना हाल ही में भारत के दौरे पर आई थीं. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी.
विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि ढाका का चीन के प्रति साफ झुकाव दिखाई दे रहा है पर क्या इससे भारत को परेशान होना चाहिए.
भारत की चिंताओं का पहला और मुख्य कारण है- मुक्त व्यापार समझौता या फिर एफटीए. भारत एफटीए की रूपरेखा जानने में दिलचस्पी दिखाएगा क्योंकि भारत फिलहाल बांग्लादेशी उत्पादों को मुफ्त में अपने बाजार में भेजता है और चीन में शुल्क का भुगतान करना पड़ता है. अगर अब बांग्लादेशी उत्पादों को रियायत मिलती है तो यह चिंता का विषय भारत के लिए जरूर होगा.
दूसरा कारण है- मोंगला बंदरगाह. यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. यहां सभी विकास कार्य भारतीय लोन से किए जा रहे हैं. अब चीन जेटी और कंटेनर यार्ड बनाने सहित अन्य गतिविधियों में दिलचस्पी ले रहा है. इससे भारत को आपत्ति हो सकती है.
तीसरा कारण है- तीस्ता जल बंटवारा. दौरे के दौरान अगर तीस्ता जल बंटवारे का मुद्दा उठता है तो भारत की चिंता बढ़ सकती है. बांग्लादेश करीब 10 साल से जल बंटवारे समझौते का इंतजार कर रहा है. वहीं, चीन ने नदी की खुदाई और आस-पास जलाश्यों और तटबंध बनाने के प्रस्ताव लेकर चार साल पहले हसीना से संपर्क किया था.
ऐसा है भारत-बांग्लादेश का संबंध
पिछले कुछ वर्षों में भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में और मधुरता आई है. रणनीतिक संबंध भी और बेहतर हुए हैं. बांग्लादेश भारत की विदेश नीति नेबर फर्स्ट के कारण एक महत्वपूर्ण साझेदार है. भारत और बांग्लादेश के बीच, सुरक्षा, संपर्क, व्यापार, ऊर्जा, वाणिज्य, रक्षा, विज्ञान और तकनीकी और समुद्री मामलों सहित अन्य क्षेत्रों में एक-दूसरे के प्रमुख साझेदार हैं. बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा विकास साझेदार भी है. दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. 2022-23 वित्त वर्ष में भारत का बांग्लादेश निर्यात करीब दो बिलियन डॉलर था.
Source : News Nation Bureau