तीन बार तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहीं शीला दीक्षित ने गांधी परिवार के साथ गजब का सामंजस्य बिठा रखा था. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे राजीव गांधी कैबिनेट में मंत्री थीं. सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. उसके बाद राहुल गांधी जब कांग्रेस में प्रभावी हुए और अध्यक्ष बने तो शीला दीक्षित को पहले उत्तर प्रदेश में सीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया गया और फिर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान दी गई. इससे पहले 1984 से 89 तक शीला दीक्षित कन्नौज (उप्र) से सांसद रह चुकी थीं.
यह भी पढ़ें : शीला दीक्षित की LOVE Story, स्कूलिंग और राजनीति में एंट्री, क्लिक करें और उनके बारे में पढ़ें A to Z जानकारी
शीला दीक्षित लोकसभा की समितियों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रही थीं. वह राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी थीं. शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. यह समय कांग्रेस में सोनिया गांधी के वर्चस्व के रूप में जाना जाता है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से मिली अप्रत्याशित हार के बाद शीला दीक्षित ने राजनीति से दूरी बना ली थी, लेकिन लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी की अगुवाई में उन्होंने दिल्ली की कमान संभाली थी. हाल ही में शीला दीक्षित बनाम पीसी चाको के बीच अनबन की खबरें भी सामने आई थी. पीसी चाको ने अपने पत्र में जिक्र किया था कि शीला दीक्षित बीमार चल रही हैं, उन्हें आराम करनी चाहिए.
यह भी पढ़ें : अरविंद केजरीवाल के वो 5 आरोप जिसने हाशिये पर ला खड़ा किया शीला दीक्षित का राजनीतिक करियर
मिरांडा हाउस से दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने तक
31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में शीला दीक्षित का जन्म हुआ था. शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी. उनकी शादी उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्व. विनोद दीक्षित से हुई थी. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीला दीक्षित एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली से सांसद रह चुके हैं.
यह भी पढ़ें : ट्रेन में इस वजह से खत्म हुई शीला दीक्षित की लव स्टोरी
दिल्ली की 3 बार मुख्यमंत्री
शीला दीक्षित कांग्रेस में लगातार पैठ बनाती गई थीं. राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने भी शीला को खासा महत्व दिया था. साल 1998 में शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गई थीं. 1998 में ही लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ीं, मगर जीत नहीं पाईं थी. उसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ना छोड़ दिया और दिल्ली की गद्दी की ओर देखना शुरू कर दिया था. दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि तीन-तीन बार मुख्यमंत्री भी रहीं.
Source : News Nation Bureau