देशभर में स्थित बाल गृहों की स्थिति कितनी भयावह है उसका पता एनसीपीसीआर की रिपोर्ट से चलता है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा समिति (NCPCR) ने सोशल ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला सच सामने आया है। एनसीपीसीआर की रिपोर्ट की मानें तो अब तक जांच दलों की ओर से कुल 2,874 बाल आश्रय गृहों का सर्वेक्षण किया गया। जिसमें से केवल 54 ही नियमों के पालन करने के मानक पर खरे उतर पाए।
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छह जांच समितियों ने पाया कि ज्यादातर बाल पोषण गृह जरूरी मानकों और नियमों को अनदेखा कर रहे हैं और बहुत कम बाल गृह ही नियमों के मुताबिक चल रहे हैं। एनसीपीसीआर ने एडवोकेट अनिंदिता पुजारी को सौंपी रिपोर्ट में कहा, 'शुरुआती जांच में और हल्के विश्लेषण में ही यह बात सामने आई है कि बहुत कम बाल गृह हैं जो नियमों का पालन कर रहे हैं। इनमें से बहुत कम ही कागज पर डेटा तैयार कर रहे हैं और किशोर न्याय (बाल पोषण व सुरक्षा) अधिनियम, 2015 के मानकों पर खरे उतरे हैं।'
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बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश में बालिका गृह में यौन शोषण के मामले सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के ऐसे बालगृहों की ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी।
सवाल यह है कि बाल गृह चलाने वाले लोग क्यों नहीं नियमों का पालन करते हैं? अगर वो नियम के मुताबिक संस्था को नहीं चला रहे हैं तो उनके अलावा दोषी कौन है?
बाल गृहों में रहने वाले बच्चों की निगरानी के लिए जिला स्तर पर बाल कल्याण समितियां (CWUC) बनाई जाती हैं। लेकिन ये समिति भी बाल गृह संस्था की निगरानी करने में असफल साबित होती नजर आ रही हैं।
संरक्षण गृहों में बच्चों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर कई नियम-कानून बनाए जाते हैं। इनका सख्ती से पालन कराने की जहमत सरकार नहीं उठाती हैं। तभी शेल्टर होम में बच्चों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आता है।
प्रशासन की नजर भी शेल्टर होम पर होनी चाहिए। बच्चों की सुरक्षा उनकी भी जिम्मेदारी बनती है। लेकिन वो भी अपने कर्तव्यों को निभाने में चूक जाते हैं।
गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आते ही भूचाल आ गया था। शेल्टर होम की 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई थी। कुछ ऐसा ही मामला यूपी के देवरिया से भी सामने आया है, जहां रेलवे स्टेशन रोड स्थित मां विंध्यवासिनी नामक शेल्टर होम छापेमारी कर 24 लड़कियों को रेस्क्यू कराया गया था।
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Source : News Nation Bureau