राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के 'भारत का भविष्य' कार्यक्रम में बहुलता और एकता के बयान का शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने स्वागत किया है। मोहन भागवत ने कार्यक्रम 'भारत का भविष्य : आरएसएस का दृष्टिकोण' के पहले दिन कहा था कि अपनी सोच को संकीर्ण कर आप संघ की कार्यप्रणाली को नहीं समझ सकते हैं। उन्होंने कहा था कि संघ की पद्धित समाज को जोड़ने का है।
भागवत के बयान पर मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि अगर ऐसी चीजें वास्तव में काम करती है तो भारत के लिए इससे अच्छा कुछ भी नहीं होगा। इससे हिंदू-मुस्लिम एकता लंबा रास्ता तय कर सकती है क्योंकि आरएसएस के बारे में यह अवधारणा बनाई गई कि यह एक अतिवादी संगठन है।
बता दें कि तीन दिनों 17-19 सितंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में संघ को समझाने की कोशिश की जा रही है। भागवत ने कहा था कि संघ का अनोखा तरीका होने के कारण और संघ के कार्यकर्ता प्रचार-प्रसिद्धि के पीछे नहीं भगाते हैं।
भागवत ने कहा था, 'यह कार्यक्रम आरएसएस को समझने के लिए लोगों के वास्ते आयोजित किया गया है, क्योंकि आज यह देश की ताकत बन गया है और इसे विश्व में महसूस किया जा रहा है। संघ का कार्य विशिष्ट और अतुलनीय है।'
संघ के इस कार्यक्रम में देश के कई प्रसिद्ध लोग भाग ले रहे हैं, इनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति व विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं। हालांकि विपक्षी नेताओं ने इसमें शामिल होने से इंकार किया था और कहा था कि ऐसा कोई निमंत्रण नहीं मिला है।
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आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और वह केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विचारधारा का स्रोत है। आरएसएस की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला सोमवार से शुरू हुई है जिसके केंद्र में हिंदुत्व और भारत के भविष्य को रखा गया है।
Source : News Nation Bureau