काशी की बेटी ने इतिहास रचा है. वाराणसी की शिवांगी सिंह राफेल उड़ाने वाली पहली पायलट बनने जा रही हैं. भारतीय वायु सेना का सबसे खास और ताकतवर फाइटर जेट माना जाने वाले राफेल (Rafale) अब काशी की बेटी उड़ाएगी और दुश्मन के दांत खट्टे करेगी. दरअसल, वाराणसी की शिवांगी सिंह जो अब तक मिग 21 उड़ा चुकी है अब वो राफेल के स्क्वॉड्रन टीम में शामिल हो गयी है.अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में संबंधित महिला पायलट को इसकी ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इस खबर के बाद वाराणसी में शिवांगी के घर मे खुशियों की बाहार आ गयी है सभी कहते है शिवांगी ने जो ठाना वो कर दिखाया.
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शिवांगी फिलहाल अभी मिग-21 लड़ाकू विमान को उड़ा रही हैं और इसी अनुभव के बाद अब राफेल की कमान देने की तैयारी की जा रही है. राफेल विमान उड़ाने के प्रशिक्षण के बाद ये महिला पायलट भी राफेल की 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन का हिस्सा बन रही है. यही स्क्वॉड्रन अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल विमानों को संभालती है.
प्रबल इक्षा शक्ति और कुछ कर गुज़रने की चाहत ही इंसान को सफलता की ऊंचाइयों पर ले जाती है.ऐसा ही कुछ कर दिखाया है वाराणसी की शिवांगी सिंह ने, जो भारतीय वायुसेना में सबसे अत्याधुनिक विमान राफेल को उड़ाएगी.
बनारस की इस बिटिया ने न सिर्फ अपने माता- पिता का सीना चौड़ा किया है बल्कि बेटियां - बेटो से कम नहीं है ये कर दिखाया है. ऐसे मे शिवांगी के माता-पिता और भाई ने उनके संघर्षो की कहानी बयां की. उन्होंने कहा कि जो बेटी ने ठाना वो कर दिखाया. शिवांगी सिंह के माता -पिता और उनके भाई से बात की न्यूज नेशन से खास बातचीत की.
शिवांगी सिंह के राफेल उड़ाने की खबर आने के बाद पूरे परिवार में खुशी और जश्न का माहौल है सभी एक दूसरे का मुंह मीठा कर बधाई दे रहे हैं. शिवांगी के दादा कहते है बचपन मे वो मुंह से फुर्र - फुर्र की आवाज निकालकर आसमान की तरफ देखती थी, उस समय हमलोग समझ नहीं पाये आज समझ मे आया है की वो आसमान में उड़ना चाहती थी.
इसके अलावा शिवांगी के भाई बताते हैं की शिवांगी एक बार अपने नाना के आर्मी के ऑफिस में गयी थी और आर्मी का यूनिफॉर्म देख उसने बचपन मे ही ठान लिया था की अब वो देश की सेवा करेगी.
वहीं उनके दादा आगे कहते हैं कि जब वो सुबह 6 बजे निकलकर रात 8 बजे घर आती थी तो लड़की होने के नाते कई लोग कई तरह की बाते करते थे पर आज सबका मुंह उसने अपनी काबिलियत से बंद कर दिया.
शिवांगी का कमरा आज भी उसी तरह है जैसा वो छोड़कर गयी थी इसी कमरे से उसने आसमान की ऊंचाई को छूने का फैसला लिया. शिवांगी के घर में उनके स्कूल से कॉलेज तक के मेडल उसके कामयाबी की कहानी बयां करती है.