वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा विधेयक, 2017 (FRDI बिल) को लेकर बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के ज़रिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
शिवसेना ने सामना में लिखे एक लेख में केंद्रीय सरकार पर लोगों को लूटने का आरोप लगाया है।
सामना के संपादकीय में लिखा है, 'केंद्रीय सरकार के प्रस्तावित एफआरडीआई के बाद, लोगों के बीच एक बड़ा डर है, क्योंकि यह बिल बैंकों को जमाकर्ताओं के पैसे का उपयोग करने में नाकाम रहने पर डिफॉल्ट होने की अनुमति देता है।'
लेख में आगे लिखा है, 'यह बिल सत्ताधारी सरकार को बैंक के डिफॉल्ट होने की स्थिति में जमाकर्ताओं की रकम इस्तेमाल करने की ताकत देता है। सरकार का यह बिल बैंक यह आदेश देने का अधिकार देता है कि आपने बैंक के पास आपका पैसा रखने का अधिकार नहीं है, भले ही आपकी गाढ़ी कमाई बैंक के पास जमा हो।'
सरकार ने अगस्त 2017 में लोकसभा में एफआरडीआई बिल पेश किया था। जिसे संसद की संयुक्त समिती को भेजा गया था। इस बिल पर ससंद के शीतकालीन सत्र में चर्चा होनी है।
हालांकि इस प्रस्तावित बिल पर उठी संशाओं पर स्थिति साफ करते हुए वित्त मंत्रालय ने सफाई दी थी। वित्त मंत्रालयल ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा था कि FRDI बिल जमाकर्ताओं के हित में है और इसमें उनके लिए वर्तमान कानून की तुलना में अच्छे प्रावधान किए गए है। इस विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति विचार कर रही है।
दरअसल लगातार ऐसी बातें सामने आ रही है, जिसमें आशंका व्यक्त की जा रही है कि शीत कालीन सत्र के दौरान पेश होने वाले FRDI बिल में सरकार ऐसा कानून बनानी की तैयारी में है जिसमें यह प्रावधान होगा कि अगर कोई बैंक दिवालिया होता है तो उसे जमाकर्ता को पैसा देना है या नहीं, देना है तो कितना देना है जैसे सभी तरह के अधिकार बैंक के पास होंगे।
मतलब यह कि बैंक में जमाकर्ताओं के पैसे की कोई गारंटी नहीं है। इतना ही नहीं संसद द्वारा क़ानून बन जाने के बाद जामाकर्ता अपने पैसे डूबने की शिकायत अदालत में भी नहीं कर सकता है।
इसके बाद चारों ओर इस बिल को लेकर वाद-विवाद का दौर शुरू हो गया है। इसी क्रम में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
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HIGHLIGHTS
- शिवसेना के मुखपत्र सामना में एफआरडीआई बिल के खिलाफ लेख
- लेख के ज़रिए सरकार के प्रस्तावित बिल पर साधा निशाना
- लेख में केंद्रीय सरकार पर लोगों को लूटने का लगाया आरोप
Source : News Nation Bureau