शिवसेना के दिवगंत संस्थापक बाल ठाकरे राजनीति में बड़ा नाम है. बाल साहेब का जन्म 23 जनवरी, 1926 को पुणे शहर में हुआ था. बाला साहेब एक बड़े राजनेता होने के साथ कार्टूनिस्ट भी थे. उन्होंने बतौर कार्टूनिस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी और वह मशहूर कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण के साथ भी काम कर चुके हैं. बाल ठाकरे एक कट्टर और सख्त राजनेता माने जाते थे. हास्य को कला में पिरोने वाले बाल ठाकरे की आज जयंती है. बाला साहेब के कार्टून अकबर में भी छपते थे. बाद में उन्होंने मार्मिक नाम की पत्रिका शुरू की. मार्मिक में बनाये गए वार्ताओं काफी लोकप्रिय हुए. अपनी कला कार्टून के जरिये बाला साहेब इंदिरा गांधी पर भी निशाना साध चुके हैं.
बाला साहेब ने गैर मराठी लोगों की बढ़ती संख्या और प्रभाव के खिलाफ अभियान चलाने के लिए किया. 19 जून 1966 को बाल ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया था. बाला साहेब को हिन्दू हृदय सम्राट भी कहा जाता है. उनका भाषण सुनने के लिए काफी संख्या में लोह इकठ्ठा हो जाते थे. बाला साहेब अपन पिता से प्रभावित थे. उनके पिता केशव सीताराम ठाकरे संयुक्त महराष्ट्र मूवमेंट के जाने-पहचाने चहरों में से एक थे. बाल मुखपत्र सामना और हिंदी अख़बार दोपहर का सामना के संस्थापक थे.
बीजेपी और शिवसेना ने 1995 में मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीता था. बाला साहेब मराठियों के लिए लड़ाई लड़ते आये हैं. मुंबई में मराठियों का पहला अधिकार बताते हुए बाहरी लोगों को राज्य से खदेड़ने के लिए आवाज़ उठाई. खास बात ये है कि बाला साहेब ने कभी चुनाव नहीं लड़ा इसके बेसूद महाराष्ट्र की राजनीति में उनको अहम भूमिका और पहचान थी. बाल साहेब का राजनीतिक के साथ बॉलीवुड से भी रिश्ता था. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि दिलीप उनके अच्छे दोस्त थे लेकिन बाद पता नहीं क्यों दिलीप दूर हो गए थे. 1966 जब पाॅप किंग माइकल जैक्सन मुंबई आए थे तब शिवसेना ने गर्मजोशी से स्वागत किया था.
उनके जीवन की बात करें तो, पुणे में जन्में बाल ठाकरे 9 भाई बहनों में सबसे बड़े थे. बाल ठाकरे की पत्नी मीणा ठाकरे की 1995 में मृत्यु हो गयी थी. उनके तीन बच्चे है. जयदेव, उद्धव और स्वर्गीय बेटे बीनुमाधव. राज ठाकरे बालासाहेब के भतीजे है. बाला साहेब विरोधियों का विरोध तो करते ही थे लेकिन अगर उन्होंने कुछ अच्छा काम किया तो तारीफ करने से भी पीछे नहीं हटते थे.
17 नवंबर, 2012 को अचानक बाला साहेब ठाकरे का निधन हो गया. इस दौरान सभी लोगों ने सभी लोगों ने स्वेच्छा से दूकाने बंद रखी और सड़कों पर ऑटो रिक्शा और टैक्सी नहीं चलाई. ऐसा कहा जाता है कि बाला साहेब की अंतिम विदाई देने लाखों लोग मुंबई में मौजूद थे. एक तरफ जहां मातोश्री से शिवाजी भवन के बीच के रास्ते पर पांव रखने की जगह नहीं थी वही दूसरी तरफ इस दौरान शहर में सड़के वीरान नजर आ रही है. उस दिन हीं दुकान, रेस्तरां, होटल, थिएटर, मॉल जैसे निजी प्रतिष्ठान बंद रहे और सड़कों पर निजी वाहन, टैक्सियां और ऑटो रिक्शा नहीं चले. मायानगरी कही जाने वाली मुंबई बाला साहेब के निधन पर खामोश हो गयी थी.
Source : News Nation Bureau