दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज का कोरोना कनेक्शन सामने आने के बाद शासन से लेकर प्रशासन में हड़कंप मच गया है. इस पर पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया श्रीपारस भाई जी (Shri Paras Bhai Ji) ने मुस्लिम संगठनों पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि कहीं निजामुद्दीन मरकज के बहाने दूसरे शाहीनबाग का तो एजेंडा सेट नहीं किया जा रहा है.
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यहां पारस भाई जी बोले कि ऐसे वक्त में वो ऐसा कहना तो नहीं चाहते हैं पर क्या करे हालत ही कुछ ऐसे बन रहे हैं. जहां एक तरफ पूरा विश्व इस वैश्विक महामारी से लड़ रहा है वहां इन तबलीगी जमातवालों की अलग ही खीचड़ी पक रही है. जहां इन लोगों को देश के साथ खड़ा होकर सभी मस्जिदों से निकलकर अपने-अपने घर बैठकर अपने परिवार का साथ देना चाहिए, वहीं इतने बड़े और समझदार कहलाने वाले लोग इस महामारी में एक साथ मरकज में बैठकर धर्म विस्तार की बातें कर रहे हैं. अरे, इन्हें कोई समझाए जब दुनिया में कोई होगा ही नहीं तो धर्म प्रसार कहा होगा. इसलिए पहले देशभक्त बने फिर धर्म प्रसार करें.
श्रीपारस भाई जी ने कहा कि विश्व इस वक्त कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है, जिससे भारत में 21 दिन का लॉकडाउन है. ऐसे में तबलीग जमात वालों ने क्या कोरोना की रोकथाम के लिए खुद कोई कदम उठाया है. बिलकुल नहीं क्योंकि अगर इन्होंने कोई कदम उठाया होता तो यह लोग अपने घर में बैठकर अपने परिवार समाज और देश का साथ दे रहे होते.
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उन्होंने कहा कि एक तरफ परिवार इनका इंतजार कर रहा होगा इधर ये लोग धर्म के नाम पर इकट्ठा होकर बीमार हो रहे हैं और पूरे देश को बीमार करने भी जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विदेश से आए हुए लोगों को लॉकडाउन के बाद कोरोना वायरस का टेस्ट कराने के लिए आग्रह किया गया था, लेकिन उन्होंने ये टेस्ट क्यों नहीं कराया. क्या मरकज के बहाने भारत के खिलाफ उनका कोई और मकसद तो नहीं है. क्योंकि यह साबित करना भी इन्हीं के हाथ में है.
मां भगवती की साधना के साथ-साथ समाज की सेवा करते सच्चे साधक, एस्ट्रोलॉजर, बेहतरीन मोटिवेटर, मां भगवती व शिव के भजनों से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर देने वाले पारस परिवार के मुखिया श्री पारस भाई जी ने कहा कि 24 मार्च को लॉक डाउन लागू हुआ, लेकिन उससे कई दिन पहले से मुस्लिम भाइयों को ऐसा करने से रोका जा रहा था. 22 को जनता कर्फ्यू भी हुआ था तो फिर क्यों कार्यक्रम को स्थगित नहीं किया गया?.
श्रीपारस भाई जी ने आगे कहा कि ऐसे लोग भोले भले और शरीफ मुस्लिमों को धर्म के नाम पर बलि का बकरा बना देते हैं. मुझे दुःख है कि मैं ऐसा कह रहा हूं पर क्या करूं भाई, हम सब करोड़ों लोग सब कुछ छोड़कर अपने घरों में बैठकर देश के सुरक्षित भविष्य की कामना कर रहे हैं और वहीं ये लोग इस महामारी को पूरे देश और विश्व में फैलाने का जरिया बन रहे हैं. ऐसे में यह लोग उन लोगों की मेहनत को पूरी तरह से बर्बाद कर देंगे जिन्होंने लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन किया और अभी भी कर रहे हैं. करोड़ों हिन्दू सिख ईसाई और मुस्लमान अपने-अपने घरों में जेल की तरह बंद होकर देश की भलाई में योगदान दे रहे हैं. इसलिए इन तबलीगी जमातवालों को चाहिए था कि भीड़ इकट्ठी करने के बजाय अपने घर में बैठकर इस महामारी से लड़े और अल्लाहताला से पूरे मुल्क की सलामती की दुआ मांगे यही इंसानियत भी है और तभी इनकी अच्छी नीयत भी देश को समझ आएगी.
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पारस भाई ने मुस्लिम संगठनों की आलोचना करते हुए कहा कि कोरोना वायरस को लेकर तबलीग जमात वालों को एहतियात बरतनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्या ये लोग दुनिया की हालत नहीं देख रहे थे. क्या पूरी तरह से अंजान थे और क्या इतनी भी समझदारी की उम्मीद गलत है. इन तबलीगी जमात (पढ़े लिखे) लोगों की तुलना बॉर्डर क्रास कर रहे मजदूरों से करना ही सही है, क्योंकि इनके पास तनिक भी बुद्धि नहीं है.
श्रीपारस जी ने सवाल करते हुए पूछा कि दुनिया में 52 इस्लामिक देश है, पर ये लोग वहां पर धर्म प्रचार के लिए नहीं गए तो आप ही बताइये इस तबलीग जमात का केंद्र भारत ही क्यों है. आखिर इसका उद्गम स्थान कहां है. तबलीग जमात वालों ने भारतवासियों की कोई चिंता नहीं है. तबलीग जमात के लोग चाहे वो भारत के हों या दूसरे मुल्क से भारत आए लोग, सभी मुसलमानों के बीच रहकर इस्लाम और दीन की बातें करते हैं, लेकिन इस कोरोना की महामारी पता होते हुए भी उन्होंने कोई समझदारी नहीं दिखाई और भीड़ इकट्ठी कर ली. यह देशभक्ति नहीं है. उम्मीद करता हूं कि आगे भविष्य में हमें ऐसे काम देखने को नहीं मिलेंगे, इसलिए सभी इस लोकडाउन में सरकार और देश का साथ दें. वरना 14 अप्रैल तक होने वाला लॉकडाउन मज़ाक बन जाएगा, इसलिए सभी भारतवासी एक हो. जय माता दी आपको.
Source : News Nation Bureau