Advertisment

Siachen: नाम-कैप्टन शिवा चौहान, काम- दुनिया के सबसे ऊंचे जंगी मैदान में देश की रक्षा

सियाचिन की परिस्थितियां, उसकी स्थिति ही उसे खास बनाती है. कराकोरम दर्रे से लेकर तमाम पाकिस्तानी आउटपोस्ट पर सियाचिन से नजर रखी जा सकती है. सिचायिन ग्लेशियर के आसपास सटी चोटियों पर कब्जा करने के लिए भारत को कई ऑपरेशन चलाने पड़े थे. तब से लेकर अब...

author-image
Shravan Shukla
New Update
First Lady Officer Capt Shiva Chouhan searving duty on worlds highest battlefield

First Lady Officer Capt Shiva Chouhan searving duty on Siachen( Photo Credit : Twitter/firefurycorps)

Advertisment

First Lady Officer Capt Shiva Chouhan searving duty on world's highest battlefield, Siachen : दुनिया की सबसे कठिन लड़ाई हुई थी सियाचिन में. साल 1984 में हिंदुस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा जमाया. इसके लिए ऑपरेशन मेघदूत चलाया गया. फिर कई सारे ऑपरेशन चलाए गए अगले कुछ सालों में. ऑपरेशन राजीव 1987 में चलाया गया सबसे खतरनाक ऑपरेशन था. जहां माइनस 50 डिग्री सेल्सियस में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानियों को कायदे पोस्ट से उखाड़ फेंका. तब से सियाचिन भारत की नाक और उसके सिर पर रखे ताज जड़े कोहिनूर हीरे की तरह है. यहां हिंदुस्तान के सबसे बहादुर जवान तैनात रहते हैं. जो उन तमाम विपरीत परिस्थियों का सामना करते हैं, जो किसी और की किस्मत में नहीं. सियाचिन पर पहली बार भारत की महिला कैप्टन शिवा चौहान के कदम पड़ चुके हैं. अब नारी शक्ति के हाथ में सियाचिन की कमान है. 

सियाचिन पर पड़े पहली महिला जंगबाज के कदम

सियाचिन जाने के बारे में सुनकर ही लोगों की नसें जम जाया करती हैं. वहां 6 महीने से ज्यादा कोई ड्यूटी पर नहीं रहता. पूरे जीवन काल में कोई फौजी 2 साल से ज्यादा समय सियाचिन में नहीं रहता. कोई 70 किलो का फौजी सियाचिन जाता है, तो 55 किलो ही वापस लौटता है. पीने के लिए पानी भी बर्फ को गलाकर हासिल किया जाता है. जीवन का हरेक सेकंड संघर्ष में कटता है. लेकिन अब वहां कैप्टन शिवा चौहान के कदम पहुंच चुके हैं. जिन्होंने पूरी जिंदगी तमाम दिक्कतों का सामना किया और हर दिक्कत को अपने हौसले के दम पर हराती रहीं. सियाचिन पहुंचने से पहले एक महीने की कड़ी ट्रेनिंग होती है, जिसे काफी जवान पास भी नहीं कर पाए. ये ट्रेनिंग सियाचिन बैटल स्कूल ( Siachen Battle School ) में दी जाती है. इस ट्रेनिंग को पास कर वो सियाचिन में तैनात हो चुकी हैं. फायर फ्यूरी कॉर्प्स ने कैप्टन शिवा चौहान की तैनाती की जानकारी ट्विटर पर साझा की. 

कौंन हैं कैप्टन शिवा चौहान?

कैप्टन शिवा चौहान राजस्थान की रहने वाली हैं. उदयपुर से पढ़ाई करने के बाद वहीं से सिविल इंजीनियर बन गईं. और फिर साल 2021 में सेना के बंगाल इंजीनियर ग्रुप में भर्ती हो गईं. महज 11 साल की उम्र में अपने पिता को खो देने वालीं शिवा को उनकी मां ने पाला. बचपन से ही सेना में जाने की ख्वाहिश रखने वाली शिवा ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में अच्छे ग्रेड से ट्रेनिंग पूरी की. जुलाई 2022 में वो सियाचिन से कारगिल तक साइकिल चला चुकी हैं, और वो दूरी 508 किमी की है. अब सूरा सोई इंजीनियर रेजीमेंट के जवान उनकी अगुवाई में सियाचिन पर तैनात हो चुके हैं. उन्हें तीन महीने के लिए सियाचिन में तैनात किया गया है.

ये भी पढ़ें: Taliban ने पाकिस्तान को फिर दिखाई आंखें, मंत्री के बयान पर कहा- निराधार बातों से बचें

सियाचिन क्यों है महत्वपूर्व?

सियाचिन की परिस्थितियां, उसकी स्थिति ही उसे खास बनाती है. कराकोरम दर्रे से लेकर तमाम पाकिस्तानी आउटपोस्ट पर सियाचिन से नजर रखी जा सकती है. सिचायिन ग्लेशियर के आसपास सटी चोटियों पर कब्जा करने के लिए भारत को कई ऑपरेशन चलाने पड़े थे. तब से लेकर अब तक भारत ने बहुत सारे जवानों को सिर्फ कब्जा बरकरार रखने के लिए खोया है. क्योंकि यहां दुश्मन की गोली से ज्यादा बड़ा दुश्मन मौसम है. माइनस 50 से माइनस 25 डिग्री सेल्सियस के तापमान में मशीन गन तक जाम हो जाती है. आज भी ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन राजीव को दुनिया की मिलिट्री ट्रेनिंग में जगह दी जाती है. क्योंकि ये ऐसे ऑपरेशन थे, जिन्होंने सियाचिन को भारत से जोड़े रखा.

HIGHLIGHTS

  • सियाचिन में कैप्टन शिवा चौहान हुईं तैनात
  • पहली महिला सैनिक बनने का कारनामा
  • दुनिया का सबसे खतरनाक बैटलफील्ड है सियाचिन
indian-army Siachen First Lady Officer Capt Shiva Chouhan worlds highest battlefield कैप्टन शिवा चौहान देश की रक्षा सियाचिन ग्लेशियर सियाचिन हिमनद
Advertisment
Advertisment
Advertisment