इसी साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिद्धारमैया सरकार के एक सर्कुलर से राज्य में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। दरअसल कांग्रेस की सरकार ने 'अल्पसंख्यक समुदाय', किसानों और कन्नड़ आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज केस को वापस करने पर विचार कर रही।
इस संबंध में DGP/IG ऑफिस से राज्य के सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह सर्कुलर भेजा गया है। इसमें पुलिस अधिकारियों और हर जिले के एसपी से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ चल रहे सांप्रदायिक हिंसा के मामलों को हटाने पर उनका मत मांगा गया है।
सर्कुलर के तहत पिछले पांच साल के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित सांप्रदायिक हिंसा के सभी केस वापस लिए जाएंगे।
सर्कुलर जारी होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया है।
बीजेपी महासचिव और कर्नाटक के प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा, 'ये है कर्नाटक सरकार का सर्कुलर, निर्दोष मुसलमानों को रिहा करने के लिए। कांग्रेस का मकसद बीजेपी कार्यकर्ताओं को भयभीत करके चुनावों में फायदा उठाने का है।'
बीजेपी सांसद शोभा करांदलजे ने कहा, 'क्या यह मुस्लिम राजनीति को बढ़ावा देना नहीं है? सिद्धारमैया सरकार कुछ वोटों के लिए गंभीर मामलों में शामिल लोगों को आजाद करना चाहती है। यह गलत है।'
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वहीं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बीजेपी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, 'हम हर निर्दोष के खिलाफ मामले वापस लेना चाहते हैं, केवल निर्दोष मुसलमानों के ही नहीं। हम किसानों और कन्नड़ आंदोलनकारियों के खिलाफ लगे मामलों को हटाने पर भी विचार कर रहे हैं। बीजेपी राज्य में दूसरी हार के डर से झूठ फैला रही है। सर्कुलर में कहीं भी मुसलमानों का नाम नहीं है।'
कांग्रेस नेता रिजवान अरशद ने न्यूज नेशन से खास बातचीत करते हुए कहा , 'मुस्लिम संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री से मिला था और उन मामलों में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था जो संगीन नहीं हैं जैसे उन मामलों में जिनमें कोई घायल नहीं हुआ है। हमारी सरकार ने इन्हीं मामलों में पुलिस से उनकी राय मांगी है।'
अरशद ने कहा 'बीजेपी को किस तरह का सवाल उठाने का हक नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने साथ-साथ 20000 कार्यकर्ताओं से जुड़े मामले वापस लिए।'
ध्यान रहे की कर्नाटक में इस साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इसके मद्देनजर बीजेपी जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटी है।
बीजेपी 2008 में पहली बार कर्नाटक में सत्ता में आई और तीन मुख्यमंत्रियों के साथ पांच साल के बाद कांग्रेस के हाथों 2013 के चुनाव में हार गई। बीजेपी को एक बार फिर वापसी की उम्मीद है। वहीं कांग्रेस का दावा है कि वह विकास के दम पर एक बार फिर राज्य की सत्ता पर काबिज होगी।
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Source : News Nation Bureau