सिक्किम पूरी दुनिया में ऑर्गेनिक फॉर्मिंग के लिए जाना जाता है. इसका पूरा श्रेय यहां के किसानों को जाता है. वे अपनी अथक मेहनत के बल पर जैविक खेती के जरिए पर्यावरण और स्वास्थ सुरक्षा के लिए अहम रोल अदा कर रहे हैं. इस बीच सिक्कम के 98 वर्षीय तुला राम उप्रेती भी इन्हीं किसानों की श्रेणी में आते हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन जैविक खेती में लगा दिया. उन्होंने अपने हुनर को अन्य किसानों तक पहुंचाया. तुला राम ने इस तरह से पूरे राज्य में जैविक खेती को प्रचलित कर बड़ा नाम कमाया है. इस साल उन्हें पद्म श्री के सम्मान से सम्मानित किया गया है. बीते आठ दशक से वे जैविक प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं.
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उप्रेती अपने पूर्वजों की विरासत को जारी रखे हुए हैं. उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि घुटने से संबंधित बीमारियों के बार-बार होने की वजह से उन्होंने लगभग 5-6 साल नियमित खेती बंद कर दी थी. उन्हें चावल और मक्का के एक माल के साथ रेशम मार्ग से तिब्बत की पैदल यात्रा करनी थी. वे अपने सहायकों के साथ खाली हाथों और मवेशियों के साथ 12 हेक्टेयर में फैले अपने खेत में खेती करते थे.
सिक्किम के जैविक किसान ने 25 वर्षों तक असम लिंग्जे ग्राम पंचायत इकाई के तहत लिंगजे वार्ड के स्थानीय पंचायत सदस्य के रूप में भी काम किया. वह दो बार पंचायत अध्यक्ष भी रहे और 1996 में समाज सेवा से सेवानिवृत्त हुए. तुला राम उप्रेती ने ताशी नामग्याल हायर सेकेंडरी स्कूल (अब टीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल) में पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की. उप्रेती के परिवार में आठ बेटे और सात बेटियां हैं और उनके परिवार में 100 से अधिक सदस्य हैं. उनके एक बेटे केएन उप्रेती ने 1979-99 तक रेनॉक विधानसभा क्षेत्र से मंत्री और विधायक के रूप में कार्य किया.
HIGHLIGHTS
- जैविक खेती को प्रचलित कर बड़ा नाम कमाया है तुला राम ने
- उन्हें पद्म श्री के सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है
- बीते आठ दशक से वे जैविक प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं