'10 और 12 साल की लड़कियों और लड़कों को घाटी में कट्टरपंथी बनाया जा रहा'

देश में कट्टरपंथी सोच बदलने के शिविर चल रहे हैं क्योंकि यह पूरी तरह से कट्टरपंथी हो चुके लोगों को अलग करने के लिए आवश्यक है.

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Nihar Saxena
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'10 और 12 साल की लड़कियों और लड़कों को घाटी में कट्टरपंथी बनाया जा रहा'

जनरल बिपिन रावत ने फिर गिनाई सुरक्षा संबंधी चुनौतियां.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने बुधवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बल (Indian Armed Forces) बदलाव की दहलीज पर हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत (India) के सामने अब भी छद्म युद्ध और सीमा पार आतंकवाद (Terrorism) जैसी अहम सुरक्षा चुनौतियां हैं. जनरल रावत ने इस आलोचना को भी खारिज किया कि सशस्त्र बल जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में लोगों के अधिकारों का दमन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत और आतंकवाद के खतरों पर विचार करते हुए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. भारत में कट्टरपंथी (Fundamentalists) सोच बदलने वाले शिविर होने संबंधी विवादित टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनका मतलब था कि लोगों का उनके विचारों के आधार पर वर्गीकरण और युवाओं की कट्टरपंथी सोच को बदलने के अथक प्रयासों के प्रभाव का मूल्यांकन.

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कट्टरपंथी सोच बदलने की जरूरत
उन्होंने कहा, जब मैंने शिविर कहा तो मेरा मतलब लोगों के समूह से था. पिछले महीने रायसीना संवाद में अपने संबोधन में जनरल रावत ने कहा कि देश में कट्टरपंथी सोच बदलने के शिविर चल रहे हैं क्योंकि यह पूरी तरह से कट्टरपंथी हो चुके लोगों को अलग करने के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि 10 और 12 साल की आयु की लड़कियों और लड़कों को घाटी में कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. इसे चिंता का विषय बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे देश में कट्टरपंथी सोच को बदलने वाले शिविर चल रहे हैं.'

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वैश्विक शांति में भारत की भूमिका बड़ी
उभरते क्षेत्रीय सुरक्षा परिवेश के बारे में जनरल रावत ने कहा कि पश्चिम एशिया की तरह भारत के निकट पड़ोसियों से इतर घटनाएं देश के सुरक्षा हितों से टकरा सकते हैं. जनरल रावत ने टाइम्स नाऊ समाचार चैनल द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'भारत को वैश्विक शांति के संदर्भ में बड़ी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है. हमें अपना प्रभाव बढ़ाना होगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या प्रमुख रक्षा अध्यक्ष का पद सृजित करने से नौकरशाही की एक और परत बनी है, इस पर पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि यह लंबे समय से अटका प्रस्ताव था, जिसका मकसद तीनों सेनाओं के कामकाम में ज्यादा एकीकरण सुनिश्चित करना है.

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सीडीएस-रक्षा सचिव की जिम्मेदारियां अलग
उन्होंने कहा कि सीडीएस और रक्षा सचिव दोनों की जिम्मेदारियां स्पष्ट हैं और दोनों सेना में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए आपसी समन्वय के साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा, 'भारतीय सशस्त्र बल बदलाव के मोड़ पर हैं. अगर हम युद्ध के भविष्य को देखे तो सेना को और मजबूत करना होगा. हमारी प्राथमिकता गुणवत्ता है, न कि संख्या.' जनरल रावत ने अलग लॉजिस्टिक कमांड के साथ-साथ वायु रक्षा कमांड की योजनाओं के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, 'हमारा ध्यान संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने पर होगा.' सीडीएस ने यह भी कहा कि सशस्त्र बल चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं.

HIGHLIGHTS

  • भारत के सामने अब भी छद्म युद्ध और सीमा पार आतंकवाद जैसी सुरक्षा चुनौतियां हैं.
  • सशस्त्र बल चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार
  • देश में कट्टरपंथी सोच बदलने के शिविर चल रहे हैं. कट्टरपंथी सोच बदलने के लिए जरूरी.
jammu-kashmir Terrorist General Bipin Rawat Fundamentalists Terrorist Mind
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