लोकसभा चुनाव 2019 में गांधी परिवार की परंपरागत संसदीय सीट अमेठी इस बार बीजेपी के पास चली गई. जिसके चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस की शान अमेठी की सीट से चुनाव हार गए. बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने उन्हें 55,120 वोटों से परास्त कर इस सीट पर भगवा परचम लहरा दिया. केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी इस सीट से दूसरी बार प्रत्याशी थीं. राहुल गांधी यहां से चौथी बार चुनाव मैदान में थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल ने स्मृति को 1,07,000 वोटों के अंतर से हराया था. गांधी को 408,651 वोट मिले थे, जबकि ईरानी को 300,748 वोट मिले थे. इस बार स्मृति ने बाजी पलट दी.
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स्मृति ने ये किया कैसे
स्मृति ने इसके लिए पूरे पांच साल मेहनत की, और एक-एक व्यक्ति को जोड़ने और एक-एक वोट को सहेजने का काम किया. राजनीतिक पंडितों के अनुसार "स्मृति ईरानी का अमेठी से लगातार जुड़ाव उन्हें जीत के द्वार पर खड़ा करता है और राहुल का जनता से दूर होना उन्हें हराता है. 2014 का चुनाव हारने के बाद स्मृति ईरानी यहां लगातार सक्रिय रहीं. उन्होंने गांव-गांव में प्रधानों और पंचायत सदस्यों को अपने साथ जोड़ा. यह उनके लिए कारगर साबित हुआ. हर सुख-दु:ख में अमेठी में सक्रिय रहना उन्हें राहुल से बड़ी कतार में खड़ा करता है."
राजनीतिक जानकारों के अनुसार "कांग्रेस का जिले में संगठन ध्वस्त हो गया था. राहुल महज कुछ लोगों तक ही सीमित रहे. यही कारण है कि वह चुनाव हार गए. वह पांच सालों में जनता से जुड़ नहीं पाए." "स्मृति ईरानी ने तीन अप्रैल को टिकट मिलने के बाद से ही गांव-गांव जाकर प्रचार किया है. उन्होंने एक दिन में 15-15 जनसभाएं की हैं. सपा, बसपा और कांग्रेस से नाराज लोगों को भी बीजेपी ने अपने पाले में ले लिया. इसलिए इन्हें फायदा मिला. प्रधान, पूर्व प्रधान, कोटेदार सबको अपनी तरफ मिलाने का प्रयास किया है. सपा और बसपा का वोट राहुल गांधी को ट्रांसफर नहीं हो पाया, यह भी राहुल की हार का एक बड़ा कारण था."
गौरतलब है कि अमेठी लोकसभा सीट को कांग्रेस का अभेद्य किला माना जाता रहा है. इस सीट पर इससे पहले 16 चुनाव और दो उपचुनाव हुए हैं. इनमें से कांग्रेस ने यहां 16 बार जीत दर्ज की है. 1977 में लोकदल और 1998 में भाजपा को यहां से जीत मिली थी. यहां से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के अलावा राहुल गांधी सांसद रहे हैं और अब यह सीट स्मृति की हो गई है.
Source : News Nation Bureau