तो क्या बंदर खत्म कर देंगे पक्षियों की प्रजातियां ? जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

बंदर सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बड़ी दिक्कत बनते जा रहे हैं.

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Dalchand Kumar
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तो क्या बंदर खत्म कर देंगे पक्षियों की  प्रजातियां ? जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

फाइल फोटो

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बंदर किसानों के लिए लगातार बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं. उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में किसानों के लिए बंदर किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि बंदरों की बढ़ती तादाद किसानों की फसलों के लिए बड़ा सिरदर्द बनी हुई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बंदर सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बड़ी दिक्कत बनते जा रहे हैं. हमारा इकोसिस्टम जिसे पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है, उसमें हर प्राणी और हर पक्षी का विशेष महत्व है. ऐसे में किसी की भी संख्या यदि ज्यादा बढ़ जाती है तो उसका प्रभाव पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है. बंदरों की तादाद लगातार बढ़ रही है और इसका सबसे बड़ा प्रभाव पक्षियों पर पड़ रहा है.

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यह बहुत हैरान होने की बात है कि आखिरकार बंदर पक्षियों के लिए क्यों बड़ी चुनौती बन रहे हैं. पक्षियों के लिए बंदर क्यों सबसे बड़ा खतरा बन रहे हैं, देश के जाने माने वैज्ञानिक और भारतीय वन्यजीव संस्थान के टाइगर सेल के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाक्टर वाई वी झाला ने हमें जानकारी दी कि बंदर बड़ी तेजी से पक्षियों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं. बंदर बहुत बुद्धिमान जानवर है, इसलिए वह पेड़ों पर चढ़कर पक्षियों के घोंसलों की तलाश करते हैं और उनके अंडे खा जाते हैं. इतना ही नहीं छोटे बच्चों को भी बंदर बड़ी आसानी से अपना आहार बना रहे हैं. ऐसे में पक्षियों की ब्रीडिंग को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. पक्षी हमारे परिस्थिति तंत्र के लिए बहुत जरूरी हैं, क्योंकि वह कीड़े मकोड़े को खाते हैं और पेड़ पौधों को भी जंगलों में फैलाने का काम करते हैं. लेकिन लगातार बंदरों के द्वारा पक्षियों के अंडे और उनके बच्चों को खाने से भविष्य में पक्षियों की तादाद में भारी कमी आ सकती है. ऐसे में जरूरी है कि बंदरों की संख्या पर नियंत्रण किया जाए.

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डॉक्टर झाला बताते हैं कि भारत में पहले बड़े पैमाने पर बंदरों का निर्यात किया जाता था. कई ऐसे देश जो रिसर्च के लिए बंदरों को लेना चाहते थे, वह बड़ी संख्या में भारत से इन्हें आयात करते थे. लेकिन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के लागू होने के बाद यह सभी गतिविधियां बंद हो गई. जिसके बाद बंदरों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी. हालांकि वैज्ञानिक बंदरों की पैदावार रोकने के लिए नसबंदी जैसे कई प्रोग्राम चला रहे हैं, जिसके जरिए बंदरों की बढ़ती संख्या को रोका जा सके. क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो पारिस्थितिकी तंत्र में बंदरों की संख्या बहुत ज्यादा हो जाएगी, जो किसानों ही नहीं बल्कि पक्षियों के लिए भी बड़ी समस्या हो जाएगी. बंदरों की तादाद अगर बहुत ज्यादा होगी तो बहुत सारे पक्षी विलुप्त होने की कगार पर आएंगे. क्योंकि उनके ब्रीडिंग नहीं होगी और उनकी स्पेशीज आगे नहीं बढ़ पाएगी.

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ऐसा नहीं है कि बंदरों के लिए अगर जंगल में पर्याप्त भोजन होगा तो वह मानव समाज की बस्तियों की ओर नहीं आएंगे. रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया है कि मानव बस्तियों में बंदरों को बड़ी आसानी से अलग अलग तरह का भोजन प्राप्त हो जाता है और ऐसे में उन्हें किसी तरह की बहुत ज्यादा भागदौड़ करने की जरूरत भी नहीं होती है. इसलिए वे जंगलों को छोड़ मानव बस्तियों की ओर भी बड़े पैमाने पर आकर्षित हो रहे हैं. कई जगह बंदर कचरे और कूड़े से भी भोजन प्राप्त कर रहे हैं, इसलिए वे जंगल के फलों पर निर्भर नहीं है. चिड़िया के अंडे और छोटे बच्चों को बंदर बड़े चाव से अपना भोजन बना रहे हैं. ऐसे में बंदरों की बढ़ती संख्या पक्षियों के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है. 

Source : Surendra Dasila

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