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लॉकडाउन के दंश से मुक्ति दिलाने को सामाजिक सुरक्षा जरूरी : मोदी सरकार

स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने कोरोना वायरस (Corona Virus) के संकट से निपटने के लिये घोषित देशव्यापी बंदी (Lockdown-लॉकडाउन) के कारण प्रवासी मजदूरों को तनाव से बाहर लाने के लिये मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा दिये जाने की जरूरत पर बल दिया है.

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Sunil Mishra
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Harshvardhan

लॉकडाउन के दंश से मुक्ति दिलाने को सामाजिक सुरक्षा जरूरी : मोदी सरकार( Photo Credit : फाइल फोटो)

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स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने कोरोना वायरस (Corona Virus) के संकट से निपटने के लिये घोषित देशव्यापी बंदी (Lockdown-लॉकडाउन) के कारण प्रवासी मजदूरों को हुए सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तनाव से बाहर लाने के लिये इन मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा दिये जाने की जरूरत पर बल दिया है. मंत्रालय द्वारा जारी एक दस्तावेज में प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन के कारण हुयी वेदना का जिक्र करते हुये इन्हें इस आघात से बाहर लाने के लिये सामाजिक सुरक्षा दिये जाने को जरूरी बताया है. 

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उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसके तहत बस और रेल सहित सभी यात्री सेवायें बंद होने के कारण दिल्ली सहित विभिन्न महानगरों से प्रवासी मजदूरों ने अपने गृह राज्यों की ओर पैदल ही जाना शुरु कर दिया. इसमें कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों के सामने भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य सुविधा, रोजी रोटी से हाथ धो बैठने की चिंता के अलावा वायरस के संक्रमण का भय भी मन में बैठ गया है.

मंत्रालय ने माना कि कभी कभी उन्हें शोषण के अलावा स्थानीय समुदायों की नकारात्मक टिप्पणियों का भी सामना करना पड़ा. इन परिस्थितियों के मद्देनजर इन्हें मजबूत सामाजिक सुरक्षा की दरकार है जिससे उन्हें इस दंश के कारण हुये भावनात्मक एवं मानसिक आघात से बाहर लाया जा सके. मंत्रालय ने लॉकडाउन घोषित होने के बाद प्रवासी मजदूरों के सामने पैदा हुयी समस्याओं का जिक्र करते हुये कहा कि अपने मूल निवास स्थान पर पहुंचने के दौरान कुछ दिनों तक इन लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों पर रहना पड़ा. बेहद मुश्किल भरी यात्रा के अनुभवों ने इन मजदूरों को भयभीत मनोदशा में पहुंचा दिया.

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मंत्रालय ने कहा कि इस स्थिति से बाहर लाने के लिये इन्हें सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक सहारे की जरूरत है. मंत्रालय ने इस समस्या के समाधान के रूप में मजदूरों के साथ स्थानीय समुदायों द्वारा इनके प्रति सम्मान, सहानुभूति और करूणामय व्यवहार करने का सुझाव दिया है. साथ ही काम की तलाश में दूसरे शहरों में गये प्रवासी मजदूरों को वापस लौटने पर समाज द्वारा उन्हें पहले की ही तरह न सिर्फ स्वीकारे जाने की जरूरत बतायी है बल्कि स्थानीय लोगों को उनकी हर प्रकार से सहायता करने के महत्व को भी रेखांकित किया है क्योंकि उन्हें एक असामान्य एवं असाधारण परिस्थिति के कारण इस अनिश्चितता के दौर से गुजरना पड़ा. 

मंत्रालय ने इस बात पर भी बल दिया है कि प्रवासी मजदूरों के लिये यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रहेगी और जल्द ही उनके जीवन में सब कुछ सामान्य हो जायेगा.

Source : Bhasha

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