विगत दिनों संपन्न विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के दौरान तमाम राजनीतिक दलों ने लोक लुभावन वादों का अंबार लगा दिया था. पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने तमाम तरह की फ्री-बी का वादा किया था. आलम यह रहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सीएम भगवंत मान पीएम नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट करने पहुंचे. यह अलग बात है कि उस मुलाकात में वह राज्य के एक लाख करोड़ मांगना नहीं भूले. जाहिर है वादे कर दो, फिर पूरा करने के लिए हाथ फैलाओ. संभवतः श्रीलंका और पाकिस्तान समेत कई देशों का हश्र ऐसे ही लोकलुभावन वादों को पूरा करने के फेर में हुआ है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) संग वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ बैठक में कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जताई. साथ ही यह दावा किया कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और वे उन्हें श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं.
पीएम ने चार घंटे की ली मैराथन बैठक
सूत्रों के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ने 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की. बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए. सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान, मोदी ने नौकरशाहों से स्पष्ट रूप से कहा कि वे कमियों के प्रबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष के प्रबंधन की नयी चुनौती का सामना करें. सूत्रों ने कहा कि मोदी ने प्रमुख विकास परियोजनाओं को नहीं लेने के बहाने के तौर पर गरीबी का हवाला देने की पुरानी कहानी को छोड़ने और उनसे एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा.
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दूसरे विभागों की भी खामियां बताएं
कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उसका उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए. उन्होंने सचिवों से प्रतिपुष्टि (फीडबैक) देने और सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं.
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लोकलुभावन योजनाओं से आसन्न संकट पर भी चर्चा
सूत्रों ने कहा कि 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा की, जिन्होंने उन सब को ध्यान से सुना. 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ यह नौवीं बैठक थी. सूत्रों ने कहा कि दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है. उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं.
HIGHLIGHTS
- लोकलुभावन योजनाएं आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं
- श्रीलंका की राह ले सकता है इनका क्रियान्वयन