बजट सत्र का दूसरा चरण शुरु होने से पहले कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को पार्टी नेताओं के साथ एक वर्चुअल मीटिंग की. इस मीटिंग में जी-23 के आनंद शर्मा और मनीष तिवारी के अलावा राज्यसभा में हाल ही में विपक्ष के नेता बने मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल हुए. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एके एंटनी और जयराम रमेश ने भी बैठक में हिस्सा लिया. बैठक में किसानों के आंदोलन, पेट्रोलियम की कीमतों और बेरोजगारी जैसे प्रमुख मुद्दों पर सरकार पर हमला करने की रणनीति पर चर्चा की गई.
रविवार को पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने भी कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, प्रधानमंत्री मोदी, आजीविका अधिकार है, मदद नहीं है. कृपया एमएसपी दें. हाल ही में सरकार द्वारा पीएसयू में विनिवेश को लेकर सोनिया गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था, मोदी सरकार महामारी के कारण अर्थव्यवस्था के नीचे जाने के इस समय का उपयोग अपने पसंदीदा पूंजीपतियों को भारत के धन का बड़ा हिस्सा सौंपने के मिशन को आगे बढ़ाने में कर रही है.
सार्वजनिक उपकरणों को निजीकरण बनाने में जुटी सरकार
भारत के सार्वजनिक उपक्रमों (सार्वजनिक उपक्रमों) का निजीकरण करना, परिवार की चांदी बेचकर पैसे लाने जैसा है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनात ने कहा, कोरोना के मुश्किल समय में जब हमारे साथ-साथ पूरी दुनिया सरकार के साथ खड़ी थी और यह उम्मीद कर रही थी कि प्रधानमंत्री हमारे जीवन, हमारी आजीविका के बारे में सोच रहे हैं, तब उन्होंने इस संकट को हल करने की बजाय वह पीठ में छुरा घोंपने की तैयारी कर रहे थे.
पीएम मोदी राजधर्म निभाएं
बढ़ती महंगाई को लेकर कांग्रेस की आतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पीएम मोदी को पत्र लिखा था- प्रधानमंत्री जी, आशा है आप सकुशल होंगे. मैं यह पत्र आपको आसमान छूती तेल व रसोई गैस की कीमतों से हर नागरिक के लिए उत्पन्न गहन पीड़ा एवं संकट से अवगत कराने के लिए लिख रही हूँ. एक तरफ, भारत में रोज़गार खत्म हो रहा है, कर्मचारियों का वेतन घटाया जा रहा है और घरेलू आय निरंतर कम हो रही है वहीं दूसरी तरफ, मध्यम वर्ग एवं समाज के आखिरी हाशिये पर रहने वाले लोग रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. तेजी से बढ़ती महँगाई और घरेलू सामान एवं हर आवश्यक वस्तु की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी ने इन चुनौतियों को और अधिक गंभीर बना दिया है. खेद इस बात का है कि संकट के इस समय में भी भारत सरकार लोगों के कष्ट व पीड़ा दूर करने की बजाय उनकी तकलीफ़ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है.
Source : News Nation Bureau