कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) अब अपने पद से इस्तीफा दे सकती हैं. सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी को नए अध्यक्ष की तलाश करनी चाहिए. आपको बता दें कि कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का एक साल पूरा हो चुका है. पार्टी के नेता यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि सोनिया गांधी खराब स्वास्थ्य की वजह से किसी को भी मिलने का समय नहीं देती तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी पार्टी के नेताओं से बोलते हैं की वो अध्यक्ष नहीं है और मिलने से इंकार कर देते हैं, ऐसे में पार्टी में कोई भी फैसले नहीं हो पा रहे हैं. सोमवार को कांग्रेस वर्किंग कमिटी की अहम बैठक होने वाली है. बैठक से पहले ही पार्टी के अंदर वरिष्ठ और युवा नेताओं की लड़ाई शुरू हो गई है.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. कई लीडर्स का मानना है कि पार्टी में सही समय पर फैसला नहीं लिए जाने की वजह से ही मध्यप्रदेश में सरकार गई और सिंधिया जैसे बड़े नेता ने पार्टी छोड़ दी. कुछ दिनों पहले सोनिया गांधी ने लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक की थी उस दौरान भी टीम राहुल और सोनिया के बीच मतभेद सामने आए थे. बैठक के दौरान ही पार्टी के कई सांसदों ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठाई थी. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी जब चाहे अध्यक्ष बन सकते हैं लेकिन वो जिम्मेवारी नहीं लेना चाहते इसलिए उनकी टीम के नेता सीनियर्स पर आरोप लगाते हैं.
बीजेपी के प्रति युवाओं के झुकाव का हवाला
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार यह पत्र बीजेपी की प्रगति की ओर इशारा करता है. यह स्वीकार करते हुए कि युवाओं ने निर्णायक रूप से नरेंद्र मोदी को वोट दिया है. पत्र बताता है कि कांग्रेस को बुनियादी रूप से समर्थन का घाटा हुआ है. युवाओं का विश्वास खोना गंभीर चिंता का विषय है. यह पत्र करीब दो हफ्ते पहले भेजा गया था. पत्र के जरिये बड़े नेताओं ने एक 'पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व' लाने की मांग की है, जो कि धरातल पर दिखे भी और सक्रिय भी रहे. साथ ही पार्टी के पुनरुद्धार के लिए सामूहिक रूप से संस्थागत नेतृत्व तंत्र की तत्काल स्थापना के लिए भी कहा गया है.
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इन लोगों ने किए हस्ताक्षर
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, सांसद विवेक तन्खा, एआईसीसी के पदाधिकारी और सीडब्ल्यूसी सदस्य जिनमें मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. साथ ही भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज भवन, पी जे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी, और मिलिंद देवड़ा भी शामिल हैं. पूर्व पीसीसी प्रमुख राज बब्बर (यूपी), अरविंदर सिंह लवली (दिल्ली) और कौल सिंह ठाकुर (हिमाचल), वर्तमान बिहार अभियान प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह, हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, दिल्ली के पूर्व स्पीकर योगानंद शास्त्री और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने भी इसमें हस्ताक्षर किए हैं.
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आत्मनिरीक्षण की सलाह
पत्र में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में हार के एक साल बाद भी पार्टी ने लगातार गिरावट के कारणों का पता लगाने के लिए कोई आत्मनिरीक्षण नहीं किया है. हालांकि पहले भी इसी मुद्दे पर कपिल सिब्बल और युवा नेताओं में तलवारें खिंच चुकी हैं. सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पत्र के जवाब के रूप में एक प्रमुख संगठनात्मक फेरबदल की योजना बनाई जा रही है. सोमवार होने वाली सीडब्यूसीसी की बैठक में उसी की घोषणा होने की उम्मीद है.
कांग्रेस में नहीं थम रहा अंदरूनी विवाद
आपको बता दें, कांग्रेस में अंदरूनी विवाद थमकर भी नहीं थमा है. अगर कुछ लोग पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दोबारा इसी पद पर ताजपोशी देखना चाहते हैं, तो कुछ गांधी परिवार से किसी बाहर के शख्स को. इस बीच कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पार्टी के बड़े नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की है. यह मांग कांग्रेस के 23 बड़े नेताओं ने की है. इनमें 5 पूर्व मुख्यमंत्री, शशि थरूर जैसे सांसद, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और तमाम पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. इनका कहना है कि पार्टी में बड़े बदलाव करके कांग्रेस को हो रहे नुकसान से बचाया जाए. यह मांग कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक से ऐन पहले की गई है.