Women's Reservation Bill: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में विपक्ष और पार्टी की ओर से महिला आरक्षण बिल पर बहस की अगुआई करेंगी. आपको बता दें कि महिला आरक्षण बिल को मंगलवर को लोकसभा में पेश किया गया. बुधवार को सदन में लेकर विधेयक पर चर्चा होगी. इस बिल को लेकर सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी समर्थन में है. मगर कांग्रेस पार्टी इसे अपना बिल बता रही है. मंगलवार को संसद में सोनिया गांधी ने संसद परिसर में कहा कि ये अपना बिल है. वहीं इंडिया गठबंधन बिल के खिलाफ मतदान नहीं करेगी. वो महिला विरोधी नहीं दिखना चाहता, लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनपर सरकार को घेरने की तैयारी की जा रही है.
इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश
- कांग्रेस का कहना है कि अगर यूपीए में राज्यसभा में बिल पास होता तो महिला आरक्षण तुरंत लागू होता. वहीं सरकार के बिल में पहले जनगणना, इसके बाद परिसीमन तब जाकर 2029 में लागू किया जा सकेगा.
- यूपीए के राज्यसभा में बिल पास होने पर राज्यसभा और विधानपरिषद में महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान था. मगर केंद्र सरकार के नए बिल में राज्यसभा और विधान परिषद में महिला आरक्षण को खत्म कर दिया गया.
- कोटा में कोटा की मांग को उठाया जाएगा. यूपीए सरकार के समय खुद कांग्रेस ओबीसी को आरक्षण देने का प्रस्ताव बिल में नहीं लाई थी.
कांग्रेस ने उठाए ये सवाल
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुसार, महिला आरक्षण विधेयक का उनकी पार्टी ने हमेशा समर्थन किया है. कांग्रेस-यूपीए सरकार ने 2010 में राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पास कराया था. राजनीति में जिस प्रकार SC-ST वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला. उसी तरह OBC वर्ग की महिलाएं सहित सभी को इस बिल से सामान मौका मिलना चाहिए.
खड़गे ने कहा कि आज जो मोदी सरकार विधेयक लाई है, उसको गौर से देखने की आवश्यकता है. विधेयक के मौजूदा प्रारूप में लिखा है कि ये परिसीमन के बाद लागू होगा. इस अर्थ है कि मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाजे बंद कर दिए हैं. इस पर सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा.
Source : News Nation Bureau