आज शाम 4 बजकर 57 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसरो ने दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीएसटी-9 का सफल प्रक्षेपण किया। प्रक्षेपण के बाद पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने इसके बाद पाकिस्तान को छोड़कर सार्क में शामिल देशों के राष्ट्रध्यक्षों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।
पीएम मोदी ने इस दक्षिण एशिया उपग्रह को सार्क देशों के बीच भागीदारी बढ़ाने वाला बताया। इसके साथ ही पीएम ने इस उपग्रह को इन देशों के बीच संचार में मददगार बताया। इस परियोजना में पाकिस्तान को छोड़कर भारत के खिलाफ 6 देश शामिल थे। श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और मालदीव इस परियोजना में थे।
जीसैट 9 से क्या होगा फायदा
1. जीसैट-9 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी-एमके द्वितीय) रॉकेट के जरिये लॉन्च किया गया।
2. करीब 49 मीटर लंबा और 450 टन वजनी जीएसएलवी तीन चरणों वाला रॉकेट है।
3. इस उपग्रह की क्षमता और सुविधाएं दक्षिण एशिया के आर्थिक और विकासात्मक प्राथमिकताओं से निपटने में काफी मददगार साबित होंगी।
4. 'प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने, टेलीमेडिसीन, शिक्षा के क्षेत्र में लोगों के बीच संचार बढ़ाने में यह उपग्रह पूरे क्षेत्र की प्रगति में एक वरदान साबित होगा।'
5. जीसैट-9 मानक प्रथम-2 के तहत बनाया गया है। उपग्रह की मुख्य संरचना घनाकार है, जो एक केंद्रीय सिलेंडर के चारों तरफ निर्मित है। इसकी मिशन अवधि 12 साल से ज्यादा है।
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मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क उपग्रह बनाने के लिए कहा था जो पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार के तौर पर दिया जा सकें। आज का प्रक्षेपण स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन के साथ जीएसएलवी- एफ09 रॉकेट की लगातार चौथी उड़ान है। इसलिए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने अपना वादा पूरा किया।
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Source : News Nation Bureau