एम्स अस्पताल में एक ऐसे खेल का आयोजन किया गया, जिस आयोजन में जितने भी खिलाड़ी है सभी का हार्ट ट्रांसप्लांट हो रखा है और वह सभी लोग हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद एक सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. दरअसल इस कार्यक्रम का उद्देश्य हमारे समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए किया गया था और कार्यक्रम के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की गई है कि यहां जितने भी खिलाड़ी है. उन सभी का शरीर तो उनका है लेकिन उनके शरीर में जो दिल धड़क रहा है वह किसी ऐसे शख्स का है जिसने मरने के बाद इसे दान दिया है. बैडमिंटन टेनिस कैरम बोर्ड शतरंज इस खेल में आपको जितने भी खिलाड़ी नजर आ रहे हैं, इन सभी खिलाड़ियों का शरीर तो इनका है लेकिन इनके शरीर के अंदर जो दिल धड़क रहा है वह किसी नेक इंसान का है.जिसने इन्हें दान दिया है और आज एक सामान्य जीवन जी रहे हैं. एम्स अस्पताल में "ट्रांसप्लांट गेम" का आयोजन किया गया है इस आयोजन में आने वाले सभी खिलाड़ियों का हार्ट ट्रांसप्लांट हो चुका है.
डॉक्टरों ने बताया की इसमें कई ऐसे खिलाड़ी है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रांसप्लांट लोगों के खेल प्रतियोगिता में भारत के लिए गोल्ड लेकर आए हैं. इस कार्यक्रम का मकसद यह था की भारत में अंगदान को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैले. एम्स के डॉक्टरों ने कुछ आंकड़े दिए जिसके अनुसार भारत में तकरीबन एक करोड़ लोग हार्ट की समस्या से जूझ रहे हैं, जिनमें लगभग 50,000 मरीजों को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है.लेकिन डॉक्टरों ने बेहद अफसोस के साथ यह बताया कि भारत में प्रतिवर्ष महज 90 से 100 लोगों का ही ट्रांसप्लांट होता है. यानी कुल जरूरत का महज 0.2 प्रतिशत यह बेहद अफसोस की बात है की भारत में लोग अंगदान को लेकर जागरूक नहीं है.
डॉक्टरों ने कुछ आंकड़े बताएं जिसके मुताबिक भारत में जो एक्सीडेंटल केस आते हैं और जिन मरीजों का ब्रेन डेड हो जाता है, वैसे 60 से 70 प्रतिशत मरीजों के अंगदान से कई लोगों का जीवन बचाया जा सकता है.लेकिन बेहद अफसोस के साथ डॉक्टरों ने बताया की ऐसी स्थिति में अंगदान करने वाले लोगों की संख्या लगभग 1 प्रतिशत है.डॉक्टरों का कहना है कि अंगदान को लेकर लोगों में कई तरह की अफवाह है कई मरीज के परिजन बोलते हैं कि अगर हृदय का अंग दान किया गया तो मृतक परिवार जब दूसरा जन्म लेगा तो वह बिना हृदय का जन्म लेगा.ऐसे ही अगर हाथ का अंग दान किया तो अगले जन्म में उसका हाथ नहीं होगा.
ऐसे अफवाह को खारिज करने के लिए डॉक्टरों के पास भी कुछ अध्यात्मिक जवाब है.जैसे डॉक्टरों का कहना है कि हिंदू धर्म में अंगदान की परंपरा पुराने काल से चली आ रही है.जिस तरह भगवान गणेश के गर्दन को काटकर हाथी का गर्दन लगाया गया है यह भी एक तरह से अंगदान का ही उदाहरण है.यानी जो लोग गलत अफवाहों के चलते अंगदान से परहेज करते हैं वैसे लोग अपने संस्कृति अपने धर्म के बारे में भी अगर जाने तो अंगदान करने के लिए देवी देवता भी कहते थे. यानी कुल मिलाकर डॉक्टरों का उद्देश्य यही है कि भारत में अंगदान करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा से ज्यादा बढ़े ताकि जो लोग यहां सामान्य जीवन जी रहे हैं, जो किसी का ह्रदय ना मिलता तो आज यहां खेलने के बजाए इस दुनिया में नहीं होते.ऐसे लाखों लोगों की जान बचाई जा सके.
अंगदान आखिर जरूरी क्यों है..
अंगदान से कैसे एक मरने वाला व्यक्ति कई लोगों की जान बचा सकता है.उस परिवार से जानिए या उस मरीज से जानिए जिसे वक्त रहते हृदय मिला और वह आज सामान्य जीवन जी रहा है.हमने कुछ ऐसे लोग और उनके परिजनों से बात किया कि अंगदान मिलने से कैसे उनके परिवार में खुशियां लौट आई.एक पत्नी का पति जो की मौत के कगार पर था अंगदान के वजह से आज वो ना सिर्फ जिंदा है बल्कि सामान्य जीवन जी कर अपने परिवार के साथ रह रहा है.
लोगों में अंगदान के जागरूकता के लिए सरकारें भी लगातार काम कर रही है.डॉक्टरों ने कहा कि भारत में अगर बात करें तो दक्षिण भारत में लोग ज्यादा से ज्यादा अंग दान करते हैं. जिसके लिए वहां की सरकारें भी काफी मदद करती है.लेकिन जिस तरह से डॉक्टरों ने बताया कि भारत में हार्ट ट्रांसप्लांट से जितनी जरूरत है उसका 1% भी नहीं हो पाता. यह बेहद अफसोस की बात है.तो आइए आज हम और आप प्रण ले कि भगवान ना करे कभी ऐसी स्थिति आए की हमें या हमारे जानकार या रिश्तेदार को अंगदान की जरूरत पड़े, तो हम लोग अंगदान जरूर करेंगे.हो सकता है एक मौत कई जिंदगी बचा दे जो दिल मौत के बाद बंद हो जाए वह किसी और की जिंदगी देकर किसी और के सीने में धड़कता रहे. शायद इसी का नाम तो इंसानियत है. डॉक्टरों के इस मुहिम को आशा करते हैं ज्यादा से ज्यादा सफलता मिले और भारत भी अंगदान में विश्व में एक ख्याति बनाएं.
Source : News Nation Bureau