विभिन्न देशों के साथ हिंद महासागर में शुरू होने वाले नौसेनिक अभ्यास के पहले श्रीलंका ने साफ किया है कि वह अपने समुद्री इलाकों में वैसी किसी गतिविधि की अनुमित नहीं देगा, जो भारत के सामरिक हितों के लिए खतरनाक हो।
हंबनटोटा बंदरगाह को लेकर जारी आशंकाओं को दूर करते हुए श्रीलंकाई आर्मी चीफ रवींद्र विजेगुनारांते ने कहा, 'ऐसा दावा किया जा रहा है कि हंबनटोटा बंदरगाह का इस्तेमाल सैन्य ठिकाने के तौर पर किया जाएगा।'
लेकिन मैं आपको (भारत) भरोसा दे सकता हूं कि हमारे समुद्री इलाके में ऐसी किसी गतिविधि की मंजूरी नहीं दी जाएगी जो भारत की सुरक्षा को खतरे में डालती हो।
विजेगुनारांते ने कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री आर विक्रमसिंघे ने साफ कहा है कि उनकी सरकार किसी भी देश के अपने सैन्य ठिकानों को मुहैया कराने के लिए सैन्य गठबंधन नहीं करेगी।
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गौरतलब है कि चीन हिंद महासागर में सामरिक रूप से लगातार भारत को घेरने की कोशिश करता रहा है। इसमें हंबनटोटा बंदरगाह काफी अहम भूमिका रखता है।
चीन जहां जिबूती में सैन्य ढांचे का निर्माण कर रहा है वहीं म्यांमार में कयुकपय में भी सैन्य बेस बना रहा है। इसके साथ ही बलूचिस्तान के ग्वादर में भी वह बंदरगाह का निर्माण करने में जुटा है, जो चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
वहीं भारत जवाबी कार्रवाई के तौर पर दक्षिण चीन सागर में नौपरिवहन की स्वतंत्रा की वकालत करता रहा है। गौरतलब है कि चीन पूरे दक्षिण सागर पर अपना दावा जताता रहा है जबकि आसियान के सदस्य देश उसके इस दावे का विरोध करते रहे हैं।
हिंद महासागर में विभिन्न देशों के साथ भारत का नौसैनिक अभ्यास 6 मार्च से शुरू हो रहा है।
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HIGHLIGHTS
- श्रीलंका ने कहा कि वह अपने समुद्री क्षेत्र का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगा
- श्रीलंकाई नेवी चीफ ने कहा कि हंबनटोटा बंदरगाह का इस्तेमाल सैन्य ठिकाने के तौर पर नहीं होगा
Source : News Nation Bureau