श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर भारत पहुंचे हैं. शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में उनका जोरदार स्वागत किया गया. इस तीन दिवसीय यात्रा में राजपक्षे के सचिव पीबी जयसुंदर और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के सलाहकार ललित वीरतुंगा भी उनके साथ हैं. राष्ट्रपति राजपक्षे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आए हैं. इस यात्रा के दौरान वह पीएम मोदी के साथ रणनीतिक द्विपक्षीय रिश्तों को और गहरा करने पर बातचीत करेंगे.
Delhi: President of Sri Lanka Gotabaya Rajapaksa upon his arrival at Rashtrapati Bhawan was received by President Ram Nath Kovind and Prime Minister Narendra Modi. pic.twitter.com/97XPlWtcUQ
— ANI (@ANI) November 29, 2019
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद गोटबाया राजपक्षे की यह पहली विदेश यात्रा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति बनने के बाद गोटबाया को आमंत्रित किया था. उनके सम्मान में राष्ट्रपति भवन में स्वागत समारोह आयोजित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका जोरदार स्वागत किया. राष्ट्रपति भवन में गोटबाया को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. वह अपने इस दौरे के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता करेंगे.
गोटबाया को चीन का करीबी माना जाता है. ऐसे में उनके राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के लिए कुछ चिंता बढ़ाने मामला है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि श्रीलंका के चुनाव परिणामों के 2 दिन बाद ही भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका की अघोषित दो दिवसीय यात्रा कर राजपक्षे से मुलाकात की. राष्ट्रपति राजपक्षे से मुलाकात करने वाले पहले विदेश मंत्री थे. इसी का नतीजा है कि चीन का करीबी माने जाने के बाद भी राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपनी पहली विदेश यात्रा भारत में की.
गुरूवार शाम गोटबाया राजपक्षे नई दिल्ली पहुंचे. यहां केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने उनका स्वागत किया. भारत के लिए रवाना होने से पहले राजपक्षे ने अपनी इस भारत यात्रा को लेकर ट्वीट किया था. इसमें पीएम नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के साथ द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत होने पर जोर दिया था. गोटबाया राजपक्षे 52.25 फीसदी वोटों से राष्ट्रपति चुनाव जीते हैं. उन्होंने अधिकांश सिंहल बहुल वाले दक्षिणी जिलों में जीत हासिल की है जबकि तमिल बहुसंख्यक वाले गृह युद्ध से प्रभावित उत्तरी प्रांत और मुस्लिम बहुल पूर्वी प्रांत में 65 से 70 फीसदी वोटों से हार गए.
भारत से रहा है पुराना नाता
गोटबाया का भारत से पुराना नाता माना जाता है. गोटबाया ने 1980 में असम में उग्रवाद निरोधी अभ्यास में भी हिस्सा लिया था. गोटवाया ने 1983 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की. वहीं बतौर रक्षा सचिव वह 2012 और 2013 में भारत की यात्रा पर आए थे.
लिट्टे के खात्मे में थी अहम भूमिका
गोटबाया को ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (लिट्टे) के साथ तीन दशक से चल रहे गृहयुद्ध को 2009 में निर्दयतापूर्ण तरीके से खत्म करने का श्रेय जाता है. इसके लिए उन्हें ‘टर्मिनेटर’ भी कहा जाता था. गोटबाया की अपने देश में खलनायक एवं नायक दोनों की छवि है. एक तरफ बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध उन्हें युद्ध नायक मानते हैं तो वहीं अधिकतर तमिल अल्पसंख्यक उन्हें खलनायक मानते हैं.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो