सबरीमाला में अभी दो महिलाओं की एंट्री का बवाल अभी ख़त्म भी नहीं हुआ था कि गुरुवार रात 9.30 बजे एक अन्य महिला ने मंदिर में प्रवेश किया. एएनआई के मुताबिक इस महिला की उम्र 46 साल बतायी गयी है और यह श्रीलंका की नागरिक है. रिपोर्ट के अनुसार महिला ने मंदिर में प्रवेश करने की जानकारी पुलिस को दी थी इसके साथ ही उसने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी दिखाई थी जिसमें इस बात की पुष्टि होती है कि वह रजोनिवृत्त अवस्था (मेनेपॉज) में हैं. मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक महिला की उम्र 46 साल है.
महिला भगवान अयप्पा के दर्शन के बाद रात 11 बजे पंपा बेस कैंप वापस आ गई. बताया जा रहा है कि इस श्रीलंकाई महिला को मंदिर के अंदर प्रवेश करने को लेकर कोई रोक टोक नहीं किया गया. महिला के साथ उनके रिश्तेदार भी मौजूद थे.
Kerala: A 46-year-old Sri Lankan woman went and prayed inside #SabarimalaTemple. She had reportedly informed Police that she had reached menopause and also presented a medical certificate.
— ANI (@ANI) January 4, 2019
बता दें कि 2 जनवरी की सुबह 3:45 मिनट पर दो महिलाओं ने केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया और भगवान अयप्पा के दर्शन किए. दोनों महिलाओं की उम्र लगभग 40 वर्ष बतायी गई है. केरल पुलिस ने दोनों महिलाओं को मंदिर के अंदर प्रवेश पाने में काफी मदद की और आख़िर तक उनके साथ रहे. कुछ पुलिसकर्मी अपने वर्दी में महिलाओं के साथ मौजूद थे तो कुछ सिविल ड्रेस में.
केरल की दो महिलाओं द्वारा सबरीमाला मंदिर में प्रार्थना व दर्शन करने के बाद बुधवार को मंदिर बंद कर दिया गया है. ये महिलाएं उसी आयु वर्ग की हैं, जिस पर अब तक प्रतिबंध लगा हुआ था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर लगी रोक को हटा दिया है, लेकिन इसके बावजूद कुछ संगठनों द्वारा न्यायालय के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा था कि सभी उम्र की महिलाओं (पहले 10-50 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर बैन था) को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश मिलेगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 48 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है.
कोर्ट ने क्या कहा था
अदालत ने कहा था कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अदालत की पांच सदस्यीय पीठ में से चार ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखी थी.
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पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एमएम खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा, 'शारीरिक या जैविक आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता. सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता.'
Source : News Nation Bureau