दिल्ली में यमुना किनारे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन कराने को लेकर श्री श्री रविशंकर और नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) के बीच टकराव की स्थिती शुरु हो गई है। NGT ने आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को ट्राइब्यूनल की एक्सपर्ट कमिटी पर बयानबाजी के आरोप को लेकर कड़ी फटकार लगाई है।
दरअसल, मंगलवार को रविशंकर ने फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा था कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से अगर पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
रविशंकर ने एनजीटी पर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को अनदेखा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एक ऐतिहासिक कार्यक्रम को अपराध की तरह पेश किया जा रहा है।
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गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि रविशंकर के पर्वाग्रह के आरोप चौंकानेवाले हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग को फटकार लगाते हुए एनजीटी ने कहा, 'आपको अपनी जिम्मेदारी का बिल्कुल अहसास नहीं है। क्या आपको लगता है कि आपको जो चाहें वह बोलने की छूट मिली हुई है?'
बता दें कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
बता दें कि एनजीटी की ओर से नियुक्त की गई कमेटी ने कहा था कि पिछले साल श्री श्री रविशंकर की 'आर्ट ऑफ लिविंग' संस्था की ओर से दिल्ली में यमुना के किनारे आयोजित कराए गए 'वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल' से प्रभावित हुए स्थल को दोबारा से पुरानी स्थिति में लाने में 13.29 करोड़ रुपये लगेंगे।
यही नहीं, साथ ही इसे पूरा करने 10 साल का वक्त लगेगा। एनजीटी की एक्सपर्ट कमेटी के प्रमुख और जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर ने प्राधिकरण को बताया है कि प्रभावित स्थल पर सुधार के लिए बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है।
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Source : News Nation Bureau