प्रतिष्ठित भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) का आज जन्मदिन है, जिसे राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. गणित के क्षेत्र में अपने समय में कई दिग्गजों को पछाड़ने वाले रामानुजम ने पूरी दुनिया को गणित के अलग सूत्र और सिद्धांतों से रूबरू करवाया. रामानुजम गणित में माहिर थे और इतना ही नहीं एक सवाल को 100 से ज्यादा तरीकों से हल करने का हुनर था. रामानुजम के इसी हुनर और प्रतिभा से प्रभावित होकर अंग्रेज के विद्वान जी एच हार्डी ने उन्हें 'नेचुरल जीनियस (Natural Genius)' नाम दिया था. रामानुजम न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए मिसाल है. बेहद साधारण परिवार से आने वाले रामानुजम के हुनर से पूरी दुनिया प्रभावित है. उन्होंने गणित के ऐसे सिद्धांत दिए जिन्हे आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है.
अपने हुनर, मेहनत से रामानुजम ने दुनिया में ऊंचा मुकाम हासिल किया. विश्व पटल पर अपना नाम स्थापित करने वाले रामानुजम ने कम उम्र में गणित थियोरम दी. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक मनमोहन सिंह ने रामानुजम के जन्मदिन को राष्ट्रीय गणित (National Mathematics Day) मनाने की घोषणा की. सिर्फ 32 साल की उम्र में रामानुजम ने दुनिया को गणित की सौगात दी. रामानुजम बचपन से ही बेहद जिज्ञासु थे और प्रश्न पूछने से कभी पीछे नहीं हटते थे.
जब वे तीसरी कक्षा में थे तो एक दिन गणित के अध्यापक ने पढ़ाते हुए कहा, 'यदि तीन केले तीन व्यक्तियों को बांटे जायें तो प्रत्येक को एक केला मिलेगा. यदि 1000 केले 1000 व्यक्तियों में बांटे जायें तो भी प्रत्येक को एक ही केला मिलेगा. इस तरह सिद्ध होता है कि किसी भी संख्या को उसी संख्या से भाग दिया जाये तो परिणाम 'एक' मिलेगा. रामानुजन ने खड़े होकर पूछा, 'शून्य को शून्य से भाग दिया जाये तो भी क्या परिणाम एक ही मिलेगा?' रामानुजम गणित में पूरे अंक लाते थे लेकिन अन्य सब्जेक्ट्स में फेल हो जाते थे. पढ़ाई से नाता टूटने के बाद रामानुजन के जीवन के कुछ साल बहुत संघर्ष में गुजरे. गणित के विद्वान् श्री वी. रामास्वामी अय्यर ने रामानुजम की प्रतिभा को पहचान उन्हें क्लर्क की नौकरी पर रखा.
6 वर्ष की उम्र में G. S. Carr. की 'A Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics' की 5000 से अधिक प्रमेय को प्रमाणित और सिद्ध करके दिखाया था. रामानुजन ने जार्ज एस. कार्र की गणित के परिणामों पर लिखी किताब से प्रभावित होकर खुद ही गणित पर काम करना शुरू कर दिया था. इस पुस्तक में उच्च गणित के कुल 6165 फार्मूले दिये गये थे. बिना किसी की मदद लिए रामानुजम ने फार्मूलों को सिद्ध कर लिया था. रामानुजन ने अनंत श्रृंखला और सतत भिन्न सहित विभिन्न गणितीय विश्लेषणों में अपना योगदान दिया था.
श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता श्रीनिवास अयंगर एक साड़ी की दुकान में मुंशी का काम किया करते थे और उनकी मां घर संभालती थे. गरीब परिवार में जन्मे रामानुजम को शिक्षाग्रहण के दौरान कई पुरस्कारों से नवाजा गया था.
Source : News Nation Bureau