बिहार राज्य की बोर्ड परीक्षाओं में कक्षा 12 में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के असफल होने के विरोध में वामदलों से संबंध छात्र संगठनों ने गुरुवार को राज्य में ट्रेन और सड़क सेवाओं को निशाना बनाया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हाथों में झंडों और बैनरों को लिए सैकड़ों विद्यार्थियों ने आरा, पटना, वैशाली, बेगुसराय, जहानाबाद और गया जिलों में बलपूर्वक ट्रेनों को रोकने की कोशिश की।'
अधिकारी ने कहा, 'आंदोलन कर रहे विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय और राज्य के राजमार्गो को अवरुद्ध करने के अलावा कई स्थानों पर सड़क यातायात को भी बाधित किया।'
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा समर्थित यह हड़ताल बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (बीएसईबी) द्वारा कराई गई परीक्षा में कक्षा 12 में आठ लाख से ज्यादा विद्यार्थियों के फेल होने के 10 दिन बाद हुई है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आश्वासन दिया है कि असफल विद्यार्थी अपनी उत्तर पुस्तिकाओं का दोबारा मूल्यांकन या सत्यापन करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके परिणाम एक महीने के अंदर आएंगे। उन्होंने यह भी वादा किया कि बीएसईबी जल्द ही कंपार्टमेंटल परीक्षा का आयोजन करेगा।
पुलिस ने कहा कि छात्रों का विरोध प्रदर्शन गुरुवार को आठवें दिन जारी रहा। कक्षा 12 में असफल होने वाले हजारों विद्यार्थी अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच और उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की लगातार मांग कर रहे हैं।
2017 में हुई परीक्षाओं के परिणाम में विज्ञान, कला और वाणिज्य विषय के विद्यार्थियों के सफल होने का औसत 35.24 था। इस प्रकार परीक्षा में बैठने वाले 12,40,168 में से मात्र 4,47,115 विद्यार्थी सफल हुए।
अधिकारियों द्वारा नकल पर लगाम लगाने के सख्त तरीके अपनाने के बाद यह परिणाम आया है।
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2016 में, 62.19 प्रतिशत विद्यार्थी सफल हुए थे। जबकि 2015 में यह 87.45, 2013 में 88.04 और 2012 में 90.74 प्रतिशत था।
बीएसईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बड़ी संख्या में फेल होना परीक्षाओं को धोखाधड़ी से मुक्त बनाने के लिए उठाए गए कठोर प्रयासों को बताता है।
2017 में परीक्षा स्थलों के प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरा लगाए गए थे और परीक्षाओं के दौरान वीडियोग्राफी कराई गई थी।
परीक्षा स्थलों पर संचार के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी उपकरणों जिनमें मोबाइल फोन शामिल थे, को प्रतिबंधित किया गया था।
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Source : IANS