बसंत पंचमी के त्योहार पर सोमवार को दिल्ली का निजामुद्दीन दरगाह पीले रंग से सराबोर दिखा। हर साल की तरह इस बार भी भक्तों ने धूमधाम से इस त्योहार को मनाया। बसंत पंचमी के दिन यहां पीली चादर और पीले फूल चढ़ाए जाते हैं।
'सूफी बसंत' के नाम से मशहूर इस त्योहार को 12वीं सदी के महान गायक आमिर खुसरो के अपने ख्वाजा हजरत निजामुद्दीन ऑलिया को अर्पित किए गए बसंत के गीत की याद में मनाया जाता है।
इस दिन दरगाह पर कव्वाली का कार्यक्रम आयोजित होता है और हजरत निजामुद्दीन को अर्पित किए गए गीत गाए जाते है।
दरगाह के इन-चार्ज सयैद काशिफ अली निज़ाम ने कहा, 'हम हर साल इस त्योहार को मनाते हैं। यह 750 साल पुरानी पंरपरा है। सभी धर्मों के लोग इस त्योहार को मनाने आते हैं। इस दिन खास कव्वाली कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस तरह का आयोजन लोगों को भारत में कहीं और नहीं मिलेगा।'
भक्त निजामुद्दीन ऑलिया और आमिर खुसरो को श्रद्धांजलि देते हैं।
यह त्योहार पहली बार पांच दशक पहले कुतुब शाही वंश में मनाया गया था। उनके वंशज असफ जाही ने इस पंरपरा को 1948 से बनाए रखा।
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Source : News Nation Bureau