संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जारी धरना-प्रदर्शनों में मुस्लिम महिलाओं की बड़ी भागीदारी की पृष्ठभूमि में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सोमवार को कहा कि अलग-अलग मुद्दों पर आधी आबादी का मुखर होना उन्हें हमेशा अच्छा लगता है. हालांकि, उन्होंने अपनी बात में यह भी जोड़ा कि उन्हें पता करना पड़ेगा कि मुस्लिम महिलाएं सीएए को लेकर अब तक सही बात समझी हैं या नहीं.
महाजन ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'मुझे एक बात बहुत अच्छी लगी कि मुस्लिम महिलाएं धरना-प्रदर्शनों में बड़ी तादाद में शामिल हो रही हैं, चाहे वह दिल्ली हो या इंदौर. मुस्लिम महिलाओं के मन में यह जागरूकता और भरोसा पैदा हो गया है कि अगर भविष्य में उनके साथ कोई अन्याय होता है, तो वे भी सड़क पर उतरकर अपनी बात कह सकती हैं.'
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उन्होंने कहा, 'अलग-अलग मुद्दों पर महिलाओं का मुखर होना मुझे हमेशा अच्छा लगता है. वैसे मुझे यह देखना पड़ेगा कि (सीएए को लेकर जारी धरना-प्रदर्शनों में शामिल हो रहीं) मुस्लिम महिलाएं सही बात समझी हैं या नहीं. मगर आज वे घर से निकलकर जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे तो लगा रही हैं. मैं उनके समुदाय के लोगों को धन्यवाद देती हूं, क्योंकि पहले ये महिलाएं इस तरह घर से बाहर निकलती ही नहीं थीं.' भाजपा की वरिष्ठ नेता ने कहा, 'मैं प्रभु से प्रार्थना करती हूं कि मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी से देश के हित में अच्छा नतीजा निकले. मैं सभी राजनेताओं से भी कहूंगी कि महिलाओं में यही जागरूकता कायम रखते हुए उन्हें भारत के विकास से जोड़ा जाना चाहिये, क्योंकि हम सब को एक साथ इसी देश में रहना है.'
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सीएए के विरोध में मध्यप्रदेश के कई मुस्लिम नेताओं के भाजपा छोड़ने पर उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि उन्हें (भाजपा के मुस्लिम नेताओं को) इस विषय में अपने समुदाय के लोगों की कुछ बातें झेलनी पड़ती होंगी. लेकिन मुझे विश्वास है कि वे समझदारी से काम लेंगे और अपने समुदाय के लोगों को धीरे-धीरे समझाने में सफल होंगे कि सीएए के जरिये किसी भी भारतीय नागरिक का कोई भी अधिकार छीना नहीं गया है.'
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने पेशकश भी की कि अगर सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी अच्छे माहौल में खुले दिल से बातचीत कर सीएए की हकीकत समझना चाहते हैं, तो वह उनसे चर्चा के लिये तैयार हैं.