ऐशबाग ईदगाह के जाने-माने सुन्नी धर्मगुरु और इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की कड़ी निंदा की है. संगीता ने कहा था कि अजान से उनकी नींद खराब हो जाती है. एक वीडियो संदेश में, मौलवी ने कहा कि संगीता श्रीवास्तव को क्षेत्र की 'गंगा-जमुनी' तहजीब से वाकिफ होना चाहिए जो विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर जोर देता है. उन्होंने कहा, लोग, जमाने से एक-दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि, 'अजान' की आवाज अक्सर मंदिरों से भजन की आवाज के साथ बजती है और किसी ने कभी नहीं कहा कि उनकी नींद इस वजह से खराब हुई है.
उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में पहले से ही हाईकोर्ट का एक आदेश है, जिसका अनुपालन सभी मस्जिदों द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने आगे लोगों से अपील की कि वे ऐसे मुद्दों की अनदेखी करें और ऐसे मामलों पर दूसरों को गुमराह न करें. इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति ने जिलाधिकारी को एक पत्र लिखा था, जिसमें दावा किया गया था कि पास की एक मस्जिद से होने वाली 'अजान' के कारण उनकी नींद में खलल पड़ती है, जिसके कराण उनके सिर में दर्द होता है और काम के घंटे भी प्रभावित होते हैं.
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लाउड स्पीकर का आविष्कार 200 साल पहले जबकि अजान उससे भी पहले सेः अश्विनी उपाध्याय
लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर छिड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि लाउडस्पीकर पर अजान होना जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा है कि जब अजान शुरू हुई थी तब लाउडस्पीकर का कहीं नामोनिशान तक नहीं था. लाउडस्पीकर का अविष्कार 200 साल पहले हुआ जबकि इस्लाम 14 सौ वर्षों से चल रहा है. अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि वास्तव में लाउडस्पीकर से पढ़ाई करने वाले बच्चों बुजुर्गों को काफी दिक्कतें होती हैं. इसके साथ ही साथ जो लोग देर रात तक काम करते हैं उन्हें भी लाउडस्पीकर के तेज आवाज में अजान से होने से परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट निर्देश दिया है की एक निश्चित सीमा से अधिक आवाज में लाउडस्पीकर से अजान नहीं हो सकती.
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हाई कोर्ट ने समय-समय पर दिए फैसलों में दिया है दिशा निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि देश के कई अन्य राज्यों की हाईकोर्ट ने भी इस मामले में समय-समय पर अपने फैसलों में दिशा निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कहा है कि मौजूदा समय में अजान के लिए किसी को जगाना इसलिए भी उचित नहीं है क्योंकि लोगों के पास मोबाइल और घड़ी में अलार्म है वह उसे लगाकर समय पर अजान कर सकते हैं. अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि जबरदस्ती लोगों को घरों से जगाना खास तौर पर उन्हें जिन्हें नमाज नहीं पढ़नी है यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है.
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आर्टिकल 21 में राइट टू लाइफ एंड लिबर्टी का उल्लंघन
यह आर्टिकल 21 में राइट टू लाइफ एंड लिबर्टी का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी उपाध्याय ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी कि कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव के पत्र का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि यह हमारे आराम से सोने के अधिकारों का भी खनन है. इसलिए लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध लगना चाहिए और सरकार को भी इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- अजान को लेकर फिर तेज हुई कवायदें
- इलाहाबाद वीसी को अजान पर ऐतराज
- सुन्नी धर्मगुरु ने की वीसी के रुख की निंदा
- अश्विनी उपाध्याय ने धर्मगुरू को दिया जवाब