जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35ए हटने के बाद फोन और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी. खास तौर पर अलगववादी नेताओं की निगरानी भी की जा रही थी. लेकिन एक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को यह सारी सुविधाएं मिलती रहीं, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी, अब इतने दिन बाद इस बात का खुलासा अब हुआ है. इस मामले में बीएसएनल के दो अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है.
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कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाने के पहले केंद्र सरकार ने बहुत सी तैयारी की थी. लगातार इसके लिए गोपनीय सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा रहा था. लेकिन सरकार आखिर करने क्या जा रही है, इसकी जानकारी किसी को नहीं थी. इसी बीच चार अगस्त की रात में सरकार ने कश्मीर में कम्यूनिकेशन ब्लैक आउट घोषित कर दिया था. इससे मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन फोन भी बंद कर दिए गए थे. सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए शासन प्रशासन से जुड़े कुछ ही अधिकारियों के पास सैटेलाइट फोन उपलब्ध थे. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद कर दिया गया था. ब्लैकआउट की जद में अलगववादी नेताओं को खास तौर पर निशाने पर लिया गया था, ताकि वे अफवाहें न फैला सकें. लेकिन इन सबके बीच अलगवादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने इसमें सेंध लगा दी.
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तमाम कवायद के बाद भी गिलानी का लैंडलाइन फोन चालू था और इंटरनेट भी चलता रहा. अब इस बात का खुलासा हुआ है, पता चला है कि आठ अगस्त की सुबह तक उनको ये सारी सुविधाएं मिलती रहीं. इस दौरान गिलानी ने कई आपत्तिजनक ट्वीट किए. गिलानी ने कई भड़काऊ ट्वीट किए, जिससे माहौल खराब होने की आशंका थी. अब जबकि इस पूरे मामले से पर्दा उठ गया है तो भारत संचार निगम लिमिटेड के दो अधिकारियों को तलब किया गया है. पता किया जा रहा है कि जब सारी सेवाएं बंद कर दी गई थीं तो गिलानी को ये सेवाएं कैसे मिलती रहीं. आशंका है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह सारा काम हुआ, फिलहाल मामले की जांच की जा रही है, उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो