Advertisment

Supreme Court जांचेगा पीएमएलए के दो प्रावधानों को, विपक्ष के खिलाफ दुरुपयोग का आरोप

शीर्ष अदालत ने याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केंद्र और ईडी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा. इस अवधि के बाद याचिकाकर्ता को केंद्र के जवाब पर प्रति-प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
SC

पीएमएलए के ये प्रावधान ईडी को देते हैं असीमित शक्तियां.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

देश की सर्वोच्च अदालत मंगलवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 (PMLA Act) की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता की जांच करने के लिए सहमत हो गया है. पीएमएलए की ये धाराएं प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों को बगैर कोई कारण बताए किसी को भी बयान दर्ज करने के लिए बुलाने का अधिकार देती है. इस प्रक्रिया में गलत सूचना देने या सूचना देने में विफल रहने पर सजा का प्रावधान है. एमपी नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसी को दी गई बेलगाम शक्ति का दुरुपयोग देश भर में विपक्षी नेताओं (Opposition Leaders) को चुप कराने के लिए किया जा रहा है.

याचिका में कहा गया ये धाराएं खरीद-फरोख्त को दे रहीं बढ़ावा
मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता और सात बार के विधायक गोविंद सिंह ने पीएमएलएअधिनियम के कुछ प्रावधानों को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वकील सुमीर सोढ़ी ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और अरविंद कुमार की पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल प्रावधान की वैधता को बरकरार रखा था, लेकिन इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार करने की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर फैसला किया जाना है क्योंकि ये प्रावधान ईडी को लगातार विपक्षी नेताओं के सत्तारूढ़ दल के निहितार्थ इस्तेमाल की अनुमति देते हैं.

यह भी पढ़ेंः PAN-Aadhaar Link: अब 30 जून तक करा सकेंगे पेन से आधार लिंक, सरकार ने बढ़ाई डेट

शीर्ष अदालत का केंद्र और ईडी को नोटिस, तीन सप्ताह में दाखिर करें जवाब
शीर्ष अदालत ने याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केंद्र और ईडी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा. इस अवधि के बाद याचिकाकर्ता को केंद्र के जवाब पर प्रति-प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. अब इस मामले को मई में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. याचिका में कहा गया है, 'अधिनियम की धारा 50 न सिर्फ ईडी के अधिकारियों को आरोपी के खिलाफ अपराध साबित करने के लिए स्वीकारोक्ति या आपत्तिजनक बयान दर्ज करने में सक्षम बनाती है, बल्कि अधिनियम की धारा 63 के तहत यह भी कहती है कि इस तरह की स्वीकारोक्ति या आपत्तिजनक बयान कानूनी प्रतिबंधों के तहत प्रदान किए गए हैं.' 

यह भी पढ़ेंः Pakistan लेगा SCO बैठक में हिस्सा, NSA करेंगे सुरक्षा को लेकर बातचीत

ईडी की असीमित शक्तियों पर नियंत्रण की मांग करती है याचिका
पीएमएलए की धारा 50 ईडी अधिकारी को किसी व्यक्ति को बुलाने और उसका बयान दर्ज करने का अधिकार देती है. धारा 63 कहती है कि झूठा बयान देना या जानकारी नहीं देना अपराध है.
याचिका के मुताबिक यहां तक ​​कि सम्मन किए जा रहे व्यक्ति को ईसीआईआर की प्रति भी प्रदान नहीं की जाती है.वह यह सुनिश्चित नहीं कर सकता है कि क्या उससे पूछे गए प्रश्न लेन-देन के जांच के तहत ईसीआईआर के तहत पूछे जा रहे हैं या किसी अन्य असंबंधित अनुसूचित अपराधों के संबंध में पूछे जा रहे हैं.

HIGHLIGHTS

  • एमपी नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका
  • सुप्रीम कोर्ट पीएमएलए एक्ट की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता की करेगा जांच
  • केंद्र और ईडी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा
Supreme Court ed Enforcement Directorate सुप्रीम कोर्ट प्रवर्तन निदेशालय ईडी PMLA Act Opposition Leaders विपक्षी नेता Writ Petition पीएमएल एक्ट संवैधानिक वैधता Constitutional Validity
Advertisment
Advertisment
Advertisment