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सुप्रीम कोर्ट ने OROP पर केंद्र से पूछा, क्या पेंशन नीति से पीछे हट गए?

एएसजी ने कहा कि स्वत: रूप से पेंशन में भविष्य में वृद्धि, किसी भी प्रकार की सेवाओं में अकल्पनीय है.

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Nihar Saxena
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सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन में स्वतः वृद्धि पर केंद्र सरकार को घेरा.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों में वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) लागू करने के संबंध में एक याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र से पूछा कि क्या वह पांच साल में एक बार की जाने वाली आवधिक समीक्षा की मौजूदा नीति के बजाय पेंशन में स्वत: वार्षिक संशोधन पर विचार कर सकता है? न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने केंद्र के वकील से पूछा कि ओआरओपी से सहमत होने के बाद क्या सरकार पेंशनभोगियों की पेंशन में वृद्धि में स्वत: हो जाने के अपने फैसले से पीछे हट गई है? याचिकाकर्ताओं ने ओआरओपी लागू करने के संबध में केंद्र द्वारा 7 नवंबर 2015 को जारी अधिसूचना पर सवाल उठाया है, जिसमें सरकार ने अभिव्यक्ति की संशोधित परिभाषा को अपनाया है और इसके तहत मौजूदा और पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन की दरों के बीच की खाई को कुछ समय के अंतराल पर पाटने की बात कही थी.

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सॉलिसिटर जनरल ने लगाई सवालों की झड़ी

इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट (आईईएसएम) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा, 'सरकार का निर्णय मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है, क्योंकि यह एक वर्ग के भीतर एक वर्ग बनाता है और प्रभावी रूप से एक रैंक अलग-अलग पेंशन देता है.' जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि सरकार 2014 में संसद में ओआरओपी पर सहमत हुई थी और केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण ने सवालों की झड़ी लगा दी थी. वेंकटरमण ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ओआरओपी कार्यान्वयन के लिए आधार वर्ष संभावित रूप से 2013 से होना चाहिए न कि 2014 से, और इसके बाद इसका कोई अंत नहीं होगा.

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पेंशन में स्वतः वृद्धि अकल्पनीय

7 नवंबर 2015 के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय था, जिसे विभिन्न हितधारकों और अंतर-मंत्रालयी समूहों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया था. जैसा कि शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या सरकार सेवानिवृत्ति की तारीख की परवाह किए बिना, समान रैंक और सेवा कार्यकाल में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को समान पेंशन देने के अलावा, पेंशन में भविष्य में वृद्धि को स्वत: रूप से पारित करने के अपने फैसले पर वापस चली गई? एएसजी ने कहा कि स्वत: रूप से पेंशन में भविष्य में वृद्धि, किसी भी प्रकार की सेवाओं में अकल्पनीय है.

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पेंशन में अंतर पाटने की कवायद पांच साल में एक बार

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक नीतिगत निर्णय में अर्थशास्त्र, सामाजिक-आर्थिक, राजनीति, मनोविज्ञान और बजट जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल होते हैं. वेंकटरमण ने कहा कि ओआरओपी अंतर को पाटने का प्रयास करता है. सबसे पहले सबसे कम और उच्चतम पेंशन पेंशनभोगियों के उस रैंक के भीतर ली जाती है, जो औसत तक पहुंचने के लिए समान रैंक और समान सेवा कार्यकाल रखते हैं. उन्होंने कहा कि अंतर को पाटने की कवायद पांच साल में एक बार समय-समय पर की जानी है.

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HIGHLIGHTS

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा
  • पेंशन में स्वतः वृद्धि से पीछे हटी सरकार
पेंशन Supreme Court मोदी सरकार pension Modi Government ओआरओपी OROP सुप्रीम कोर्ट
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