सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी नदी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन को लेकर सरकार की तरफ से उठाए गए कदम की 8 मई तक जानकारी मांगी है।
तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर इस बोर्ड का गठन किया जाना है जो इस संबंध में दिये गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करेगी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि ड्राफ्ट कैबिनेट के सामने पेश किया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री के कर्नाटक चुनाव में व्यस्त होने के कारण इसको मंजूरी नहीं दी जा सकी है।
उन्होंने कहा, 'कावेरी नदी के जल बंटवारे से संबंधित ड्राफ्ट यूनियन कैबिनेट के समक्ष रखा जा चुका है। प्रधानमंत्री फिलहाल कर्नाटक चुनाव में व्यस्त हैं, इस कारण अभी तक ड्राफ्ट को मंजूरी नहीं मिल सकी है।'
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के जवाब पर नाराजगी जताते हुए कहा, 'कर्नाटक चुनाव से हमारा कोई लेना-देना नहीं है और न ही यह हमारी चिंता है। कर्नाटक सरकार को तत्काल तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ना होगा।'
तमिलनाडु राज्य के वकील शेखर नफाडे ने केंद्र सरकार के इस रुख पर नाराज़गी जताई और कहा कि ये कर्नाटक को समर्थन और पक्षपात है।
उन्होंने कहा, 'ये कोऑपरेटिव फेडरलिज्म और कानून का खात्मा है। ये केंद्र सरकार का कर्नाटक के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया है।'
उन्होंने कहा कि गर्मी का मौसम हैं और राज्य में पानी की दिक्कतें हैं।
सीजेआई दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया है कि वो कावेरी नदी का 4 टीएमसी पानी तमिलनाडु को 8 मई तक जारी करे। लेकिन बाद में कहा कि 'कितना पानी तमिलनाडु को छोड़ा जा सकता है।'
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Source : News Nation Bureau