सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल पर बनी खोज समिति (सर्च कमेटी) को फरवरी अंत की डेडलाइन दी है जो देश की पहली भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की सिफारिश करेगी. लोकपाल सर्च कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई कर रही है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि सर्च कमेटी के कामों को पूरा करने के लिए सुविधाएं और मैनपावर को उपलब्ध कराएं. जस्टिस एल एन राव और जस्टिस एस के कौल भी इस बेंच में शामिल थे, जिसने मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च तय की है.
केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बेंच को कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनपावर जैसी चीजों के अभाव के कारण समस्याएं आई हैं जिसके कारण सर्च कमेटी मुद्दे पर विचार नहीं कर सकी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 4 जनवरी को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि लोकपाल की नियुक्ति को लेकर उठाए गए कदमों पर हलफनामा दायर करे और साथ ही मामले में सुस्त प्रक्रिया को लेकर दुखी जताया था.
एनजीओ कॉमन कॉज को की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार अपनी वेबसाइट पर अब तक सर्च कमेटी के सदस्यों के नामों को सार्वजनिक नहीं किया है. सर्च कमेटी प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता, लोकसभा स्पीकर और प्रमुख न्यायाधीश वाली सेलेक्शन कमेटी को नाम भेजेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 24 जुलाई को केंद्र सरकार की तरफ से सौंपे गए लोकपाल सर्च कमेटी के गठन के मुद्दे को 'पूरी तहर से असंतुष्ट' बताते हुए खारिज कर दिया था और एक अच्छे हलफनामे की मांग की थी.
लोकपाल सर्च कमेटी में 8 सदस्य
जिसके बाद 27 सितंबर को सरकार ने लोकपाल के अध्यक्ष और इसके सदस्यों के नामों की सिफारिश करने के लिए आठ सदस्यीय सर्च कमेटी का गठन किया था. इस समिति में अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई के अलावा, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की पूर्व अध्यक्ष अरूंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्यप्रकाश और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख ए एस किरन कुमार भी थे.
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इनके अलावा इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सखा राम सिंह यादव, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख शब्बीर हुसैन एस खंडवावाला, राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ललित के पवार और पूर्व सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार समिति के अन्य सदस्यों में शामिल थे.
8 सदस्यीय खोज समिति को लोकपाल और इसके सदस्यों की नियुक्ति के लिए नामों की एक सूची की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया है. उस वक्त एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि यह कदम काफी मायने रखता है क्योंकि सरकार ने खोज समिति के गठन के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है जबकि लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली लोकपाल चयन समिति की बैठकों का बहिष्कार किया था.
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लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को 2013 में पारित किए जाने के चार साल बाद खोज समिति का गठन करने का फैसला किया गया है. खड़गे इस आधार पर चयन समिति की बैठकों का बहिष्कार करते आ रहे थे कि उन्हें समिति का पूर्णकालिक सदस्य नहीं बनाया गया था.
उन्होंने चयन समिति की बैठकों में शामिल होने के लिए 'विशेष आमंत्रित' के तौर पर पिछले साल छह मौकों (1 मार्च, 10 अप्रैल, 19 जुलाई, 21 अगस्त, 4 सितंबर और 19 सितंबर) पर उन्हें दिए गए न्यौते को खारिज कर दिया था.
गौरतलब है कि खड़गे ने सरकार से लोकपाल अधिनियम में संशोधन करने का अनुरोध किया था, ताकि लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को चयन समिति में शामिल किया जा सके और इस सिलसिले में एक अध्यादेश लाया जाए.
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दरअसल, लोकपाल अधिनियम के मुताबिक लोकसभा में विपक्ष के नेता ही चयन समिति के सदस्य हो सकते हैं जबकि खड़गे को यह दर्जा हासिल नहीं है, इसलिए वह समिति का हिस्सा नहीं हैं.
लोकपाल चयन समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं. इसके सदस्यों में लोकसभा स्पीकर, निचले सदन (लोकसभा) में विपक्ष के नेता, देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) या उनके द्वारा नामित सुप्रीम कोर्ट के कोई न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाने वाले एक प्रख्यात न्यायविद या अन्य शामिल हैं.
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Source : News Nation Bureau