उत्तर प्रदेश के सुन्नी वक्फबोर्ड के ताजमहल पर दावे मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कहा कि जिस दस्तावेज पर शाहजहां ने हस्ताक्षर किए थे उसे कोर्ट में पेश किया जाए।
दरअसल 2010 में भारतीय पुरातत्व विभाग ने वक्फ बोर्ड के एक 2005 के एक निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस निर्णय में कहा गया था कि ताजमहल का पंजीकरण वक्फ संपत्ति के तौर पर होना चाहिए।
इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि ताजमहल को शाहजहां ने उनके हवाले किया था। बोर्ड के वकील वीवी गिरि ने कहा कि शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में वक्फनामा बनाया था।
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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि शाहजहां के हस्ताक्षर वाला वक्फनामा कोर्ट में पेश किया जाए। इस दौरान कोर्ट ने बोर्ड को एक हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ के दावे पर कौन विश्वास करेगा, ऐसी चीजें कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड मुसलमानों से जुड़ी धार्मिक या शैक्षिक संपत्तियों की देखभाव करने वाली संस्था है।
सुप्रीम कोर्ट ने इतिहास की बात करते हुए सवाल किया कि जब शाहजहां जेल में था तो वक्फनामे पर हस्ताक्षर कैसे किए गए। वहीं पुरातत्व विभाग की ओर से पेश अधिवक्ता एडीएन राव ने ऐसे किसी वक्फनामे की बात को खारिज किया है।
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Source : News Nation Bureau