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मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में कल भी होगी सुनवाई, जानें आज क्या-क्या हुआ?

सीजेआई चंद्रचूड़ ने केंद्र से सवाल किया की आप मणिपुर मामले पर 6000 एफआईआर बता रहे हैं, उनमें से कितनी FIR महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित हैं?  कितने में हत्या, आगजनी आदि जैसे अपराध शामिल हैं?  इन 6000 एफआईआर के बीच क्या विभाजन है.

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Prashant Jha
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सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

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मणिपुर में 4 मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने वाले वीडियो वायरल होने के बाद सड़क से लेकर संसद तक संग्राम है. एक तरफ मणिपुर मामले को लेकर संसद का मानसून सत्र लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कार्रवाई नहीं होने से केंद्र और राज्य सरकार से जवाब माांगा है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मणिपुर का वायरल वीडियो एकमात्र घटना नहीं है. महिलाओं पर हमले के बारे में कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं. जांच कहां तक पहुंची है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और केंद्र से जवाब मांगा है कि मणिपुर हिंसा में अभी तक कितने मामले दर्ज हो चुके हैं, पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा की Action taken रिपोर्ट के साथ कितने अरेस्ट कितने हुए, रिलीफ के लिए क्या कदम उठाए गए, अभी तक कितने लोगों के 164 के तहत बयान दर्ज किए गए हैं, जीरो एफआईआर कितनी हुई हैं. ये सभी डिटेल बेंच के सामने रखी जाए, मामले में सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

गृह सचिव की ओर से दायर हलफनामे में ऐसे कई संकेत हैं. सीजेआई ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद से महिलाओं पर हमले की कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब कोई दूसरा वीडियो सामने आए तभी हम मामला दर्ज करने का निर्देश दें. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन महिलाओं के साथ न्याय हो. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि वे घटना की सीबीआई जांच नहीं चाहते हैं. वे यह भी नहीं चाहते कि मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर किया जाए. सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस हिंसा करने वालों की मदद कर रही है. 

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याचिकाकर्ता के वकील ने ये कहा

मणिपुर में जिन महिलाओं को नग्न घुमाकार यौन उत्पीड़न किया गया है उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो घटना की जांच सीबीआई से नहीं कराना चाहते हैं. साथ ही राज्य से बाहर केस ट्रांसफर नहीं किए जाए. सिब्बल ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस भीड़ को सहयोग कर रही है. पुलिस ने ही महिलाओं को भीड़ के सामने किया. एक स्वतंत्र जांच ऐजेंसी की जरूरत है. 

Source : News Nation Bureau

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