सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से पूछा कि दो चुनावों के बीच उम्मीदवारों की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी पर नजर रखने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था क्यों नहीं बनाई गई है. कोर्ट ने कानून मंत्रालय को दो हफ्ते के भीतर इसका जवाब देने को कहा है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि उम्मीदवारों को अपनी और परिवार की संपत्ति के साथ उसका स्रोत बताने को भी कहा था.
बता दें कि चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामों में नेताओं की संपत्ति पिछले चुनाव में घोषित संपत्तियों का कई गुणा रहता है. इसके लिए कोर्ट कई बार हस्तक्षेप कर चुकी है.
पिछले साल नवंबर-दिसंबर में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कई प्रत्याशियों की संपत्ति में 100 गुणा से भी ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई थी. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की संपत्ति पिछले चार सालों में 5.5 करोड़ बढ़ गई थी.
पिछले साल कर्नाटक विधानसभा चुनाव में दोबारा चुनाव लड़ रहे 184 विधायकों की संपत्ति में 2013 में हुए विधानसभा चुनाव से लेकर तब 64 प्रतिशत का इजाफा हुआ था. कई सारे उम्मीदवारों की संपत्ति में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई थी.
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अभी हाल ही में निर्वाचन आयोग ने सख्ती बरतते हुए कहा था कि अब उम्मीदवारों को विदेशों में स्थित संपत्तियों का विवरण भी देना होगा.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने था कि अब पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रत्याशियों को विदेशों में स्थित अपनी संपत्ति का विवरण देना पड़ेगा. इसमें पैन कार्ड के साथ शपथ-पत्र देना होगा. इसकी आयकर विभाग से जांच कराई जाएगी. इसमें विसंगतियां मिलने पर इसे आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau