घर खरीदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में कहा है कि बिल्डर घर खरीदार के ऊपर एकतरफा करार नहीं थोप सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि समय रहते प्रोजेक्ट की डिलीवरी नहीं देने की हालत में बिल्डर को बगैर किसी लाग लपेट के होम बायर को पूरा पैसा लौटाना पड़ेगा.
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9 फीसदी ब्याज के साथ पैसा वापस करने का आदेश
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर को 4 हफ्ते के भीतर घर खरीदार को 9 फीसदी ब्याज के साथ पैसा वापस करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि अगर बिल्डर इस आदेश का पालन नहीं करता है तो उसे पूरी रकम पर 12 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा. बता दें कि यह मामला गुरुग्राम के एक प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा की पीठ ने फैसले में कहा है कि खरीद एग्रीमेंट में लिखे एकतरफा करार को बिल्डर घर खरीदार के ऊपर जबर्दस्ती नहीं थोप सकता है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट डेवलपर के द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था. बता दें कि डेवलपर ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ दायर की थी.
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दरअसल, राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने डेवलपर को आदेश दिया था कि प्रोजेक्ट में बहुत ज्यादा देरी होने और कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं लेने की वजह से घर खरीदारों को उनका पूरा पैसा वापस करे. कोर्ट के सामने कब्जा देने के लिए 42 महीने की अवधि कब से शुरू हो रही है. इसके अलावा क्या बिल्डर बायर एग्रीमेंट के नियम कानून एकतरफा और बिल्डर के पक्ष में हैं और क्या रेरा के होते हुए बायर उपभोक्ता अदालत में जा सकता है जैसे मुद्दे थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि करार एकतरफा है साथ ही यह उपभोक्ता कनून, 1986 के तहत अनुचित व्यापार व्यवहार है और इस तरह की शर्त करार में डालना धारा 2(1)(आर) के खिलाफ है.