सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के ऑक्सीजन आंकने के फॉर्मूले को ठहराया गलत, कोरोना की तीसरी लहर के लिए भी चेताया

कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए उसके ऑक्सीजन की जरूरत आंकने के फॉर्मूला गलत ठहराया है.

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Dalchand Kumar
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SC ने केंद्र के ऑक्सीजन आंकने के फॉर्मूले को बताया गलत, कही ये बात( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए उसके ऑक्सीजन की जरूरत आंकने के फॉर्मूला गलत ठहराया है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र को राज्यों को ऑक्सीजन आवंटन के आधार वाले फॉर्मूले पर फिर से विचार करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर पर इलाज करा रहे लोगों को भी ऑक्सीजन की जरूरत है. आपके फॉर्मूले में कोविड केयर सेंटर, एम्बुलेंस को शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में ऑक्सीजन की जरूरत आंकने का फॉर्मूला गलत है.

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सुनवाई के दौरान पहले सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कल दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिला है. दिल्ली के पास अब अतिरिक्त सप्लाई है और दिल्ली उसे अनलोड नहीं कर पा रहा. अगर हम दिल्ली को ज्यादा सप्लाई देते रहेंगे तो दूसरे राज्यों को दिक्कत हो सकती है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली की 700 मीट्रिक टन की मांग सही नहीं लगती. इससे दूसरे राज्यों का नुकसान होगा. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या हॉस्पिटल के पास बफर स्टॉक है.

वहीं जस्टिस शाह ने कहा कि सब हॉस्पिटल नोडल ऑफिसर को SOS भेज रहे हैं कि उनके पास कुछ घंटे की ऑक्सीजन बची है. हमने बफर स्टॉक तैयार करने का आदेश इसी के मद्देनजर दिया था. इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली के अस्पतालों में कुल स्टोरेज की क्षमता 478 मीट्रिक टन के करीब है. दिल्ली के अस्पतालों के पास स्टोरेज टैंक नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें चिंता है कि हम दूसरे राज्यों का 300 मीट्रिक टन भी दिल्ली को दे दे रहे हैं. उन राज्यों के प्रति भी हमारी जवाबदेही बनती है. ऑक्सीजन सप्लाई के बाद यह दिल्ली के जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच रहा. शायद दिल्ली के सप्लाई सिस्टम में कुछ दिक्कत है.

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इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपनी टिप्पणी में केंद्र सरकार के ऑक्सीजन आवंटन के फॉर्मूले को गलत बताया. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोविड की तीसरी फेज का भी जिक्र किया. कोर्ट ने कहा कि अभी कोरोना की तीसरी लहर का भी सामना करना है. आज अगर हम तैयारी करेंगे तो कोविड का तीसरा फेज आने पर उससे बेहतर निपट सकेंगे. सिर्फ ये नहीं देखना है कि राज्यों को ऑक्सीजन मिले, हॉस्पिटल तक कैसे पहुंचे ये भी सुनिश्चित करना है. कोर्ट ने कहा कि तीसरी फेज में बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं. लिहाजा वैक्सीनेशन प्रकिया में उनको भी शामिल किए जाने की जरूरत है.

जस्टिस शाह ने पूछा कि  देश का बड़ा हिस्सा गांवों में बसता है. ग्रामीण इलाकों में ऑक्सीजन सप्लाई का क्या प्लान है. इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि हम दूरदराज के गांवों पर भी चिंतित है. दिल्ली का ऑक्सीजन ऑडिट होना जरूरी है. किसी को सिर्फ इसलिए तकलीफ नहीं मिलनी चाहिए कि वह जोर से अपनी बात नहीं रख पा रहा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि हमें इलेक्ट्रॉनिक ICU पर भी विचार करना चाहिए. डेढ़ लाख डॉक्टर, ढाई लाख नर्स ने मेडिकल कोर्स पूरा कर लिया है. वो NEET का इतजार कर रहे हैं. वो खाली बैठे हैं आने वाली तीसरी लहर में उनका रोल अहम होगा.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप कह रहे हैं कि अभी दिल्ली को 560 मीट्रिक टन ही मिल पाएगा. 700 मीट्रिक टन सोमवार  मई को मिल पाएगी. अभी से सोमवार तक कोई दिक्कत हुई तो क्या होगा? 700 मीट्रिक टन तो आपको देना ही पड़ेगा. इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं एक बार फिर दोहरा देता हूं कि अगर हम दिल्ली को 700 मेट्रिक टन ऑक्सीजन देंगे तो ये दूसरे राज्यों का हिस्सा दिल्ली को देना होगा. अगर इसका बुरा नतीजा निकलता है तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप जो भी दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई करते हैं, उसका वितरण बेहतर हो, इसे सुनिश्चित करने का क्या प्लान है. जिसके बाद सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है.

HIGHLIGHTS

  • ऑक्सीजन सप्लाई पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
  • केंद्र का ऑक्सीजन आंकने का फॉर्मूला गलत-SC
  • SC ने कोरोना की तीसरी लहर के लिए भी चेताया
Supreme Court central government corona-virus सुप्रीम कोर्ट कोविड तीसरी लहर Oxygen Crisis ऑक्सीजन संकट Supreme Court on Oxygen Crisis
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