सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सार्वजनिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन को लेकर एक अहम मामले की सुनवाई करने जा रहा है. इसमें कोर्ट से मांग की गई है कि वह प्रदर्शन को लेकर सीमाएं और दिशानिर्देश तय करे. यह मामला अपने आप में काफी अहम है. अगर कोर्ट इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करता है और प्रदर्शन को लेकर दिशा निर्देश जारी करता है तो विरोध के नाम पर हिंसा जैसी घटनाओं को रोकने में यह काफी अहम साबित होगा.
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शाहीन बाग धरने के बाद डाली गई थी याचिका
दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर प्रदर्शन किए गए थे. यहां कई महीनों तक लोग रास्ता रोककर धरने पर बैठ गए. इस मामले में याचिकाकर्ता वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने अर्जी दाखिल की थी. याचिका में कहा गया कि सड़कों पर ऐसे विरोध जारी नहीं रह सकते. सड़कों को ब्लॉक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रदर्शन 100 दिनों तक चलते रहे और सुप्रीम कोर्ट को दिशानिर्देश तय करने चाहिए.
याचिकाकर्ता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि भविष्य में आगे से ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए वजह उचित निर्देश दे. सुनवाई के दौरान भी कई बार लोकतंत्र में विरोध-प्रदर्शन के अधिकार और लोगों के आसानी से आवागमन के अधिकार को लेकर बात उठी थी. जजों ने भी सभी पक्षों को सुनने के बाद बीते 21 सितंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था.
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3 सदस्यीय पीठ सुनाएगी फैसला
आज सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ द्वारा फैसाल सुनाया जाएगा. गौरतलब है कि 21 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जिसमें जस्टिस अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी भी शामिल थे, ने टिप्पणी की थी कि “जनता के स्वतंत्रतार्पूवक आवागमन के अधिकार के साथ विरोध का अधिकार संतुलित होना चाहिए. संसदीय लोकतंत्र में, विरोध करने का अधिकार है, लेकिन क्या एक सार्वजनिक सड़क को लंबे समय तक अवरुद्ध किया जा सकता है? विरोध प्रदर्शन कब और कहां हो सकते हैं? हम इस बारे में सोचेंगे कि इसे कैसे संतुलित किया जा सकता है.”
Source : News Nation Bureau