सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच का अधिकार सीबीआई को दे दिया है. इस फैसले के बाद से ही सुशांत के फैंस में खुशी की लहर है. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस ऋषिकेश राय का 35 पेज़ का ये आदेश इसलिए भी ऐतिहासिक है कि ये पहली बार हुआ कि SC के सिंगल जज की बेंच ने आर्टिकल 142 के तहत संविधान द्वारा मिली असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया.
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कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के वकील सिंघवी की इस दलील को ठुकरा दिया कि सिंगल जज की बेंच आर्टिकल 142 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती और इसके लिए कम से कम दो जजों की बेंच होनी चाहिए.
एक महत्वपूर्ण बात कोर्ट ने अपने फैसले में कही कि 'सच जब रोशनी में आता है तो न्याय केवल ज़िंदा व्यक्ति को नहीं बल्कि उसको भी मिलता है जो अब दुनिया में नहीं है. सत्यमेव जयते.'
कोर्ट ने इसी सच तक पहुँचने के लिए अपने आदेश में कहा कि जांच में जनता के भरोसे को कायम रखने के लिए, मामले में इंसाफ सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट आर्टिकल 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर आदेश दे रहा है.
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कोर्ट ने कहा कि CBI जांच का आदेश न केवल सुशांत के पिता को इंसाफ दिलाने में मददगार होगा, बल्कि रिया के लिए भी यह मददगार होगा. जो पहले ही सीबीआई जांच की मांग कर चुकी हैं. साथ ही ये भी साफ किया कि सुशान्त से जुड़े मामले में आगे चलकर कोई दूसरी FIR दर्ज होती है, उसकी जांच भी सीबीआई ही करेगी.
कोर्ट ने कहा कि ऐसे वक़्त में जब दोनों राज्य एक दूसरे पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जांच की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसलिए सीबीआई जांच की ज़रूरत है.
कोर्ट ने कहा कि सुशांत सिंह मुंबई फिल्म जगत के एक प्रतिभाशाली कलाकार थे. इससे पहले कि अपनी प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल कर पाते, उनका निधन हो गया. उनके परिवार वाले, मित्र और उनके चहेते सभी जांच के नतीजे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में एक निष्पक्ष स्वतंत्र जांच वक्त की जरूरत है. ये तय होना ज़रूरी है कि क्या सुशांत की अप्राकृतिक मौत किसी अपराधिक कृत्य का नतीजा थी?
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कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया कोर्ट के सामने रखे गए सबूत मुंबई पुलिस की जांच में किसी गड़बड़ी की ओर इशारा नहीं करते, पर हाँ, महाराष्ट्र पुलिस को मुंबई में बिहार पुलिस को जांच से रोकने से नहीं रोकना चाहिए था क्योंकि ऐसा किया जाना उनकी जांच की मंशा पर संदेह पैदा करता है.
कानूनी रूप से वैध है पटना में दर्ज FIR
कोर्ट ने माना कि पटना में दर्ज FIR क़ानूनन वैध है और बिहार सरकार द्वारा CBI जांच की सिफारिश की भी क़ानूनी वैधता है. कोर्ट ने माना कि CRPC 174 के तहत मुंबई पुलिस की जांच का सीमित स्कोप है ( लंबे समय तक यूं ही नहीं चल सकती). FIR मुंबई पुलिस ने दर्ज़ नहीं की. पटना पुलिस के पास संज्ञेय अपराध की शिकायत पहुँची. उन्होंने FIR दर्ज की है. ये उनकी जिम्मेदारी बनती है. पटना पुलिस की FIR क़ानूनन वैध है.
Source : News Nation Bureau