जस्टिस के एम जोसेफ के नाम पर कॉलेजियम सहमत, केंद्र सरकार के पास दोबारा भेजेंगे नाम

शुक्रवार को हुई इस बैठक में कॉलेजियम के सभी सदस्य चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एमबी लोकुर और कुरियन जोसेफ़ ने बैठक में हिस्सा लिया।

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
जस्टिस के एम जोसेफ के नाम पर कॉलेजियम सहमत, केंद्र सरकार के पास दोबारा भेजेंगे नाम

जस्टिस केएम जोसेफ़

Advertisment

जस्टिस केएम जोसेफ़ के सुप्रीम कोर्ट लाये जाने को लेकर शुक्रवार दोपहर लगभग 1 घटें तक कॉलेजियम की बैठक हुई।

इस बैठक में जस्टिस केएम जोसेफ़ के पदोन्नति को लेकर सभी जज सहमत हुए और उन्होंने फ़ैसला लिया है कि वो दोबारा से केंद्र सरकार के समक्ष उनके नाम की सिफ़ारिश करेंगे। 

शुक्रवार को हुई इस बैठक में कॉलेजियम के सभी सदस्य चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एमबी लोकुर और कुरियन जोसेफ़ ने बैठक में हिस्सा लिया।

बता दें कि चार महीने पहले 10 जनवरी को कॉलेजियम की बैठक हुई थी जहां पर सीजेआई समेत सभी वरिष्ठ जजों की उपस्थिति में सर्वसम्मिति से उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ़ और इंदू मलहोत्रा (तत्कालीन वरिष्ठ अधिवक्ता) को सुप्रीम कोर्ट लाने पर विचार हुआ था।

बाद में 26 अप्रैल को क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कॉलेजियम को एक ख़त लिखा जिसमें जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर दोबारा विचार करने का सुझाव दिया जबकि इंदू मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज मान लिया गया।

सरकार ने जोसेफ के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनसे 41 न्यायाधीश पूरे भारत में वरीयता क्रम में आगे हैं और न्यायमूर्ति जोसेफ को प्रोन्नति प्रदान करने से सर्वोच्च न्यायालय में क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ेगा। साथ ही सरकार ने कॉलेजियम को किसी दलित न्यायाधीश को शीर्ष अदालत में नियुक्त करने पर विचार करना चाहिए। 

गौरतलब है कि केएम जोसेफ़ वही जज है जिन्होंने उत्तराखंड में 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार को बर्खास्त कर केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को निरस्त कर दिया था। 

हालांकि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ़ करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की फाइल सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए भेजने की केंद्र सरकार की कार्रवाई में उनके द्वारा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को निष्प्रभावी करने के आदेश देने से कुछ भी लेना देना नहीं था।

प्रसाद ने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'मैं अपने प्राधिकार की हैसियत से इस बात को अस्वीकार करता हूं कि दो कारणों से इसमें न्यायमूर्ति जोसेफ के फैसले से कोई संबंध नहीं है। पहला, उत्तराखंड में तीन-चौथाई बहुमत से बीजेपी की अगुवाई में सरकार बनी है। दूसरा, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने आदेश की पुष्टि की थी।'

प्रसाद ने कहा, 'न्यायमूर्ति खेहर ने ही सरकार की राष्ट्रीय न्यायिक आयोग की पहल खारिज कर दी थी।'

इससे पहले न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने बुधवार प्रधान न्यायाधीश मिश्रा से पत्र लिखकर आग्रह किया था कि 10 जनवरी की सिफारिश की पुनरावृत्ति शीघ्र की जानी चाहिए और सरकार के पास दोबारा सिफारिश भेजी जानी चाहिए।

चेलमेश्वर कॉलेजियम के सदस्य हैं और वह 22 जून को शीर्ष अदालत से अवकाश ग्रहण कर रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट में कुल 31 जज होते हैं फिलहाल कोर्ट में कुल 24 जज है। जिनमें से 4 जज इस साल रिटायर हो जाएंगे।

और पढ़ें- महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस चीफ हिमांशु रॉय ने की खुदकुशी, कैंसर से थे पीड़ित

Source : News Nation Bureau

Supreme Court CJI SC Collegium Justice K M Joseph Dipak Misra justice gogoi Justice Chelameswar justice lokur
Advertisment
Advertisment
Advertisment