सबरीमाला सामने में सुप्रीम कोर्ट से सभी वकीलों को 17 जनवरी को मीटिंग करने को कहा. सेकेट्री जनरल इस मीटिंग में रहेंगे. कोर्ट ने कहा कि वकील तय करे कि क्या विचार के लिए सौंपे गए सवालों में कोई बदलाव की ज़रूरत है, क्या कोई नया इशू जोड़ा जाना चाहिए. ये तय किया जाए कि किस इशू पर कितना वक़्त जिरह के लिए दिया जाए. अब इस मामले में सुनवाई तीन हफ्ते के लिए टल गई है.
इससे पहले सबरीमाला मामले की सुनवाई पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सबरीमला मामले की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई नहीं कर रहे बल्कि पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पहले भेजे गए मुद्दों पर विचार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की 9 न्यायाधीशों की पीठ केरल के सबरीमला मंदिर समेत धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बैठी है.
There are more than 50 review petitions, which had challenged the judgement of the Supreme Court allowing the entry of women of all ages in the Sabarimala temple in Kerala. The petitions are pending before the Supreme Court for final disposal https://t.co/NphnfQgekP
— ANI (@ANI) January 13, 2020
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने साफ किया कि नौ जजों की संविधान पीठ सबरीमला मन्दिर में सभी उम्र की महिलाओं की एंट्री के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार अर्जियों पर सुनवाई नहीं कर रही है, बल्कि बेंच पूजा और धार्मिक अधिकार से जुड़े उन सवालों पर विचार कर रही है, जो पांच जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से विचार के लिए उसके पास भेजे थे. इंदिरा जय सिंह ने कहा कि बेंच को पहले सबरीमाला मन्दिर से जुड़ी पुनर्विचार अर्जियो पर फैसला लेना चाहिए, बाद में इन 7 सवालों पर विचार होना चाहिए. जयसिंह ने कहा कि ये सवाल अपने आप में एकेडमिक है. वहीं इस मामले में राजीव धवन ने कहा कि कोर्ट को इसमे दखल नहीं देना चाहिए. कोर्ट को ये बताने का हक नही कि मेरा धर्म क्या है और क्या मेरे धर्म की जरूरी मान्यताएं है, कैसे उनका पालन करना है.
बता दें कि केरल सरकार ने कहा था कि जो महिलाएं मंदिर में प्रवेश करना चाहती है उन्हें ‘अदालती आदेश’ लेकर आना होगा. शीर्ष अदालत ने इस धार्मिक मामले को बड़ी पीठ में भेजने का निर्णय किया था. शीर्ष अदालत ने पहले पिछले साल रजस्वला उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी. 17 नवंबर से शुरू होने वाले दो महीने की लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा सत्र के लिए आज मंदिर खुल रहा है. केरल के देवस्वओम मंत्री के सुरेंद्रन ने शुक्रवार को कहा था कि सबरीमला आंदोलन करने का स्थान नहीं है और राज्य की एलडीएफ सरकार उन लोगों का समर्थन नहीं करेगी जिन लोगों ने प्रचार पाने के लिए मंदिर में प्रवेश करने का ऐलान किया है.
केरल में सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर के कपाट दो महीने चलने वाली तीर्थयात्रा मंडला-मकरविलक्कू के लिए शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच खोल दिए गए. मंदिर के तंत्री (मुख्य पुरोहित) कंडरारू महेश मोहनरारू ने सुबह पांच बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट खोले और पूजा अर्चना की. केरल के पथनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट के आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित मंदिर में केरल, तमिलनाडु और अन्य पड़ोसी राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे.
तंत्री के ‘पदी पूजा’ करने के बाद श्रद्धालु, जिन्हे दो बजे दोपहर को पहाड़ी पर चढ़ने की अनुमति दी गई, वे इरुमुडीकेट्टू (प्रसाद की पवित्र पोटली) के साथ मंदिर के पवित्र 18 सोपन पर चढ़ कर भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकेंगे. नए तंत्री एके सुधीर नम्बूदिरी (सबरीमाल) और एमएस परमेश्वरन नम्बूदिरी (मलिकापुरम) ने बाद में पूजापाठ की जिम्मेदारी ली. पिछले साल 28 सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चे की सरकार द्वारा इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था.
हालांकि, इस साल उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई. लेकिन इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेज दिया. साथ ही, सरकार भी इस विषय पर सावधानी बरत रही है. देवस्वाओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने स्पष्ट कर दिया है कि सबरीमला कार्यकर्ताओं के अपनी सक्रियता दिखाने का स्थान नहीं है और प्रचार पाने के लिए मंदिर आने वाली महिलाओं को सरकार प्रोत्साहित नहीं करेगी. वहीं, 10 से 50 आयुवर्ग की जो महिला सबरीमला मंदिर में दर्शन करना चाहती हैं, वे अदालत का आदेश लेकर आएं.
Source : News Nation Bureau