नरेंद्र मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के मामले में फिलहाल सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देना चाहता है. कोरोना वायरस के चलते इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई आग्रह करें. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि हाईकोर्ट इस पर सुनवाई के लिए जल्द बेंच का गठन करेगा. बता दें कि सेंट्रल विस्टा परियोजना पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी.
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आज ही राहुल गांधी ने प्रोजेक्ट को 'आपराधिक अपव्यय' करार दिया
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब इससे पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय विस्टा परियोजना को 'आपराधिक अपव्यय' करार दिया. राहुल ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार से लोगों के जीवन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया. सेंट्रल विस्टा परियोजना पर राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, 'सेंट्रल विस्टा आपराधिक अपव्यय है. लोगों के जीवन को केंद्र में रखिए, न कि नया घर पाने के लिए अपने अंधे घमंड को.' बता दें कि कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने नए संसद भवन की आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं.
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नए संसद भवन और नए केंद्रीय सचिवालय के साथ राजपथ के पूरे इलाके का री-डेवलपमेंट होना है. सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नवंबर 2022 तक नया संसद भवन बनकर तैयार होगा. दिसंबर 2022 तक उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का नया आवास भी क्रमश: नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के पास बनकर तैयार होगा. इसके अलावा कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट भी बनाने की तैयारी है. एसपीजी की भी दिसंबर 2022 तक बिल्डिंग बनकर तैयार होगी. सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत 13450 करोड़ की लागत से करीब एक दर्जन भवनों के निर्माण के दौरान 46700 लोगों को अस्थाई रोजगार मिलने का अनुमान है.
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सेंट्रल विस्टा की जरूरत क्यों?
11 फरवरी 2021 के लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नए सेंट्रल विस्टा के औचित्य पर प्रकाश डाला था. उन्होंने बताया कि संसद भवन सौ साल पुराना हो चुका है. वर्ष 2026 के बाद लोकसभा की सीटें बढ़ेंगी. इसलिए नया संसद भवन बनाया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा का मुख्य एवेन्यू राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैला हुआ है. मगर, बदलते जमाने के साथ इसे विश्वस्तरीय किया जाना है. क्योंकि इसमें सार्वजनिक सेवाओं, सुविधाओं और पाकिर्ंग का अभाव है. बेतरतीब पार्किं ग से भीड़ होती है और गलत छवि बनती है. जलाशयों और ग्रीनरी की देखभाल के लिए सेंट्रल विस्टा का फिर से निर्माण जरूरी है. इसलिए भारत सरकार ने नए संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के पुनर्निमाण का निर्णय लिया है. शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट के निर्माण से एक ही स्थल पर सभी मंत्रालयों का कामकाज हो सकेगा. नार्थ और साउथ ब्लॉकों को विरासत भवन होने के कारण यथावत रखा जाएगा. रेट्रोफिटिंग होने के बाद संग्रहालय के रूप में रखा जाएगा.
शिफ्ट होंगे प्रतिष्ठित संस्थान
सेंट्रल विस्टा परियोजना के कारण सेंट्रल दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी कला केंद्र जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का अड्रेस बदल जाएगा. इंदिरा गांधी कला केंद्र को जामनगर हाउस प्लॉट पर बनने वाली नई बिल्डिंग में, वहीं राष्ट्रीय संग्रहालय को नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में ट्रांसफर करने की तैयारी है. भारत के पिछले 5000 वर्षों के इतिहास व सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ीं कलाकृतियों को संरक्षित करने वाला राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में जनपथ मार्ग पर स्थित है. यहां प्राग-ऐतिहासिक काल से लेकर आधुनिक काल तक की कलाकृतियां हैं. यह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की देखरेख में संचालित होता है. इसी तरह वर्ष 1985 से संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की देखरेख भी संस्कृति मंत्रालय करता है. वर्ष 1987 में इसे एक स्वायत्त निकाय का रूप दिया गया था. यह केंद्र कला एवं संस्कृति क्षेत्र में शोध और शैक्षिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करता है. अब सेंट्रल विस्टा परियोजना के कारण इसे भी शिफ्ट किया जाएगा. हालांकि, राष्ट्रीय अभिलेखागार के विरासत भवन यथावत रहेगा.