सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की अर्जी पर सुनवाई करते हुए चुनावी बांड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, फिलहाल चुनावी बॉन्ड पर रोक नहीं लगाई जाएगी. हालांकि इस मुद्दे पर दो हफ्ते बाद अदालत फिर सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से दो हफ्ते में इस मुद्दे पर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि हर चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को चंदे में बड़ी रकम मिल रही है, जिस पर कोर्ट को रोक लगानी चाहिए.
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कोर्ट में चुनावी बांड के खिलाफ दलील पेश करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा, SBI और चुनाव आयोग ने भी इसकी पुष्टि की है. हर चुनाव से पहले सरकार चुनावी बॉन्ड योजना शुरू कर देती है. रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग भी केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर लिख चुकी है. दिल्ली चुनाव से पहले भी सरकार इलेक्टोरल बांड ले आई है, जिस पर रोक लगाई जानी चाहिए.
इससे पहले ADR की ओर से चुनावी बांड के खिलाफ दी गई अर्जी में इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी. अर्जी में ADR की ओर से कहा गया है कि चुनावी बांड के तहत चंदा देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाती है. राजनीतिक पार्टियां भी चंदा देने वाले का नाम सार्वजनिक नहीं करती हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले भी मामला सुप्रीम कोर्ट में आया था. पिछले साल की 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड के जरिए दिए जानेवाले चंदे पर रोक लगाने की मांग को ठुकरा दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों को निर्देश दिया था कि वे दानदाताओं की पहचान और उनके खातों में मौजूद धनराशि का ब्यौरा 30 मई तक एक सील बंद लिफाफे में पैनल को सौंप दें. साथ ही अगले आदेश तक चुनाव आयोग भी चुनावी बांड्स से एकत्रित की गई धनराशि का ब्यौरा सील बंद लिफाफे में ही रखे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, वह कानून में किए गए बदलावों का विस्तार से परीक्षण कर यह सुनिश्चित करेगा कि किसी एक दल के पक्ष में संतुलन न झुका हो.
Source : News Nation Bureau